रूह को विकसित करने के लिए खुदा ने एक सिलसिला शुरू किया, जिसे रिसालत का सिलसिला कहते हैं। खुदा इन बंदों में से ही चुनकर अपना रसूल बनाकर भेजता है। जिन्हें पैगंबर कहते हैं, जिन्होंने इंसानों को नेकी और बदी की पहचान देकर जिंदगी जीने का सलीका सिखाया। करीब 1 लाख 24 हजार पैगंबरों ने दुनिया में खुदा का रास्ता बताया।
मोहम्मद साहेब को आखिरी पैगंबर बनाकर आखिरी किताब कुरआन की सूरत में इनायत की।मोहम्मद साहेब आज से 1473 साल पहले मक्का की सर जमीन पर पैदा हुए। 40 वर्ष की उम्र में आपको खुदा की ओर से पैगंबरी मिली। उन्होंने 10 साल मक्का शरीफ में इस्लाम को फैलाया और हर तरीके की तकलीफों को बर्दाश्त किया। उसके बाद खुदा के हुक्म से मदीना शरीफ हिजरत करके चले गए। जहां वे 13 साल रहे।
इस 23 साल की छोटी सी अवधि में वो इंकलाब किया कि लोगों के जेहन बदल गए। कानून बदल गए। इंसाफ और खुदा परस्ती का वो अजम पैदा हुआ कि दुनिया के बहुत बड़े हिस्से में इस बात को पहुंचा दिया। उन्होंने किसी कौम, मुल्क और दौर के लिए नहीं बल्कि इंसानियत के लिए खुदा का रास्ता बताया, इसलिए खुदा ने (सूरे अलआराफ आयात नं. 158) में फरमाया कि ‘ए-मोहम्मद कह दो के ए-इंसानों में तुम सबकी तरफ उस खुदा का भेजा हुआ रसूल हूं, जो आसमान और जमीन की बादशाही का मालिक है’।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)