यह लिखा माफीनामे में
खान ने माफीनामा में कहा कि ‘अल्हमदू लिल्लाह मैं भी साहिबे ईमान हूं और शरीयत के हुक्म का एहतराम करता हूं। जिस जगह को नमाज के लिए मस्जिद के नाम पर तामीर कर दिया गया है वो कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। मेरे बयान से अगर किसी के जज्बात को ठेस पहुंची है, तो खुदा और उसके बंदों से माफी का तलबगार हूं। खुदा हम सबको माफ फरमाए।’
यह कहा था पहले . .
खान ने 2 फरवरी को संभागीय आयुक्त कार्यालय में अल्पसंख्यक विभाग की संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक में गैर आबाद मस्जिदों के संबंध में कहा था कि जहां अजान और नमाज नहीं होती, वो मस्जिद नहीं है। इस पर भीलवाड़ा जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हफीजुर्रहमान रिजवी ने कड़ी नाराजगी व्यक्त कर शरीयत का मसला भी बताया था। उल्लेखनीय है कि इस बारे में में ‘जहां नमाज नहीं, वो मस्जिद नहीं’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।
उलेमाओं का लिया सहारा
खान ने समुदाय को राजी करने और बढ़ते विरोध को थामने के लिए अजमेर के उलेमाओं का सहारा लिया। उन्होंने मौलाना सैयद मेहंदी मियां चिश्ती को माफीनामे की प्रति फैक्स की। इसके बाद चिश्ती ने पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी।
अब अल्लाह और बंदे भी माफ करेंगे
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना फज्ल-ए-हक ने भी राज्य मंत्री अमीन खान के माफीनामे की पुष्टि की है। मौलाना ने कहा कि अमीन खान ने अल्लाह की बारगाह में माफी मांगी है और बंदों की भावनाओं को ठेस पहुंची है उनसे भी माफी मांगी है। बंदे माफ करेंगे अल्लाह भी माफ करेगा।
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