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02 फ़रवरी 2012

जया एकादशी 3 को, प्रेत योनि से मुक्ति दिलाता है ये व्रत



हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया, अजा तथा भीष्म एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी व्रत 3 फरवरी, शुक्रवार को है।

जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। जया एकादशी के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से निवेदन कर जया एकादशी का महात्म्य, कथा तथा व्रत विधि के बारे में पूछा था। तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि जया एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है। इस एकादशी का व्रत विधि-विधान करने से तथा ब्राह्मण को भोजन कराने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी से संबंधित कथा भी सुनाई थी।

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