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02 फ़रवरी 2012

शुक्रवार-एकादशी का योग- ऐसी विष्णु पूजा से लक्ष्मी भी होगी प्रसन्न


एकादशी तिथि भगवान विष्णु की उपासना की शुभ घड़ी मानी जाती है। शुक्रवार को देवी उपासना के दिन के साथ एकादशी का संयोग बन रहा है। शास्त्रों में लिखा है कि जहां भगवान विष्णु कृपा होती है, वहां लक्ष्मी भी वास करने लगती है। देवी लक्ष्मी जगतजननी दुर्गा के श्री या वैभव स्वरूप व जगतपालक विष्णु की पत्नी के रूप में पूजनीय हैं। इसलिए इस दिन खासतौर पर भगवान विष्णु स्वरूप श्री शालग्राम पूजा सुख-समृद्धि, शांति व लक्ष्मी कृपा देने वाली होती है।
संकेत यही है कि आनंदस्वरूप देव विष्णु का वास यानी जिस घर में शांति और कलहमुक्त माहौल होता है, वहां लक्ष्मी रूपी सुख-वैभव बना रहता है।
घर-परिवार में ऐसी ही खुशहाली के लिए शुक्रवार के दिन विशेष रुप से शाम के वक्त विष्णु रूप शालग्राम शिला की पूजा का विशेष उपाय अपनाएं व विष्णु मंत्र का ध्यान करें -
- शाम को स्नान कर विष्णु रूप शालग्राम शिला को पहले पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी और शक्कर के मिश्रण से स्नान कराकर विशेष रूप से केसर मिले चन्दन जल से स्नान कराएं।
- स्नान के बाद भगवान शालग्राम की गंध, सफेद तिल, फूल, वस्त्र, तुलसी के पत्ते, दूर्वा, इत्र आदि लगाकर पूजा करें। नीचे लिखा भगवान विष्णु का मंत्र बोलें -
प्रणवेन च लक्ष्यो वै गायत्री च गदाधर:।
शालग्रामनिवासी च शालग्रामस्तथैव च।।
जलशायी योगशायी शेषशायी कुशेशय:।
महीभर्ता च कार्यं च कारणं पृथिवीधर:।।
- बाद भगवान शालग्राम की आरती धूप और घी के दीप जलाकर करें।
- अंत में शालग्राम को स्नान कराएं चरणामृत जरूर ग्रहण करें। इससे न केवल तीर्थजल के समान पुण्य मिलता है बल्कि सुख-समृद्धि भी आती है

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