देवी शक्ति की उपासना यदि नवरात्र में पूरे विधि-विधान से की जाए तो ऐसा कोई सुख नहीं है जो वे अपने भक्तों को नहीं दे सकती। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से देवी की पूजा के बारे में उल्लेख किया गया है। देवी भागवत (स्कंध 11, अध्याय 12) में कहा गया है कि श्रीमाता के विधिपूर्वक स्नान से भक्त अपने इच्छित फलों को प्राप्त कर सकता है।
उसके अनुसार-
- माता जगदंबिका को आम अथवा गन्ने के रस से स्नान करवाया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। वहां नित्य ही संपत्ति और विद्या का वास रहता है।
- द्राक्षा (एक प्रकार की वनस्पति) के रस से यदि माता जगदंबिका को स्नान करवाया जाए तो भक्तगण पर देवी की कृपा बनी रहती है।
- वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी व कमल के जल से देवी को स्नान करवाया जाए तो सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है।
- इसी प्रकार यदि देवी को दूध से भरे कलश से स्नान करवाया जाए तो व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-समृद्धि का स्वामी बनता है।
- देवी के लिए रत्नाभूषणों का दान करने पर भक्त निश्चित ही धन-संपदा प्राप्त करता है, वह अनेक प्रकार की विशेष संपत्तियों का स्वामी होता है।
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