आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 जनवरी 2012

स्त्री और पुरुष दोनों के लिए ब्रह्मचर्य जरूरी है, क्योंकि...


सामान्यत: ब्रह्मचर्य पुरुषों के लिए आरक्षित स्थिति मानी जाती है। दरअसल ब्रह्मचर्य एक ऐसा आचरण है, जो स्त्री और पुरुष दोनों के लिए ही समान है। ब्रब्रह्मचर्य एक शक्ति का नाम है, जो ब्रह्म के आचरण से आती है।

एक आंतरिक अनुशासन ब्रह्मचर्य का रूप है। इसका संबंध केवल शारीरिक नहीं है। शरीर के स्तर पर तो ब्रह्मचर्य स्त्री-पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग होगा, लेकिन जब इसे आंतरिक शक्ति के रूप में लेंगे, तो यह स्त्री के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा, जितना पुरुष के लिए है।

स्त्री का ब्रह्मचर्य उसे रूप-धन की स्थिति से भी मुक्त कराएगा। जैसे-जैसे वह अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानेगी, मां बनना उसके लिए विवशता नहीं, विशेष अधिकार बन जाएगा। स्त्री का ब्रह्मचर्य उसके मातृत्व के लिए एक वरदान है।

जो स्त्रियां अपनी आंतरिक शक्ति पर बखूबी टिकीं, उन्हें पुरुष से बराबरी का रुतबा पाने में अधिक कठिनाई नहीं हुई। बिना आंतरिक शक्ति के पुरुष से जो बाहरी संघर्ष होगा, वह ऊर्जा को नष्ट करने वाला, वातावरण को दूषित करने वाला और जीवन को संकट में डालने वाला ही रहेगा।

माताओं, बहनों को योग, प्राणायाम और ध्यान से गुजरते समय अधिक सरलता रहेगी। माताओं, बहनों को अपने व्यक्तित्व की प्रस्तुति करने में आज भी कई परेशानियां हैं, लेकिन ब्रह्मचर्य यानी आंतरिक शक्ति पर टिकते ही उनके लिए सारा वातावरण मित्रवत हो जाएगा।

इसका अर्थ है सम्मान और सदाचार के साथ उन्हें सहयोग मिलेगा और वे भी सान्निध्य दे सकेंगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...