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09 जनवरी 2012

सड़क सुरक्षा सप्ताह का सभी अधिकारी उड़ाते हैं मजाक ..जनता को लूट का सप्ताह न बनाये इसे अधिकारी और पत्रकार बंधू

दोस्तों सडक दुर्घटनाओं और हाथ पर हाथ धरे बेठे रहने वाली सरकार और अधिकारीयों पत्रकारों के लियें सडक सुरक्षा सप्ताह के नाम पर लूट का महिना आ गया है ..सभी जानते है के किस तरह से सडक सुरक्षा सप्ताह को यातायात चालान और लूट सप्ताह बना दिया जाता है खासकर कोटा की हालत तो इस मामले में बद से बदतर होती जा रही है ........दोस्तों आज से करीब तेईस वर्ष पूर्व भारतीय सड़क सुरक्षा निति के तहत देश की सडको को आम आदमी की आवाजाही के लियें सुरक्षित बनाने के लियें एक विशेष अभियान चलाया गया था जिसमे किस तरह से सडकों को मरम्मत कर आम आदमी की आवाजाही के लियें बनाया जाएगा .सडकों से अवरोध अतिक्रमण हटाए जायेंगे ..सडकों पर विधि अनुसार स्पीड ब्रेकर बनेंगे तो सांकेतिक चिन्ह लगाये जायेंगे ट्रेफिक पॉइंट सांकेतिक बोर्ड और चोराहों पर बत्तियां लगाई जायेंगी .ट्रेफिक में बाधा बने आवारा जानवरों को हटाया जायेगा जबकि बीच सडक या किनारे जो लोगों और वाहन चालकों के ध्यान बंटता है ऐसे विज्ञापन बोर्डों को हटाया जायेगा ॥ कुल मिलाकर सड़क सुरक्षा सप्ताह में आम आदमी की आवाजाही के लियें सडक को सुरक्षित करने का प्रावधान रहा है ..इसीलियें पुरे सप्ताह सार्वजनिक निर्माण विभाग .नगर निगम ..पंचायत ..नगर विकास न्यास ...पुलिस कलेक्टर यातायात विभाग सभी मिलकर इस व्यवस्था को करते है ................... दोस्तों यह तो है सडक सुरक्षा सप्ताह बनाने का तरीका लेकिन अब आज जो यह सप्ताह प्रशासन अपनी सरकारी जिम्मेदारियां भुला कर मना रहा है वोह सिर्फ और सिर्फ जनता को परेशान करने का एक मात्र जरिया है इस कथित सडक सुरक्षा सप्ताह के आते ही यातायात पुलिस और अख़बारों के कुछ पत्रकारों की बांछें खिल जाती है क्योंकि लूट का एक सप्ताह शुरू हो जाता है छोटे छोटे स्कूली बच्चों को सडकों पर लाया जाता है सड़कें मरम्मत करने की जगह स्कूटर मोटर साइकिलों के कागजात के नाम पर चलन बनाये जाते है ..दोस्तों बारह महीने पुलिस और यातायात विभाग की ज़िम्मेदारी है के शहर में यातायात नियम लागू हो कागज़ात चेक हों ..स्पीड कंट्रोल हो ...कारों की सीट बेल्ट काले कांच ..रात्रि लाइटों के हेलोजें बंद हों ...मिनी बस निजी बसें क्न्दक्त्र और ड्राइवर युनिफोर्म पहने ..टिकिट कितना कहाँ से लगेगा इसकी सूचि बस में चस्पा हो .केवल स्टेशन पर ही ठहराव हो परमिट हो ..इन वाहनों को खड़ा करने के लियें स्टेंड हो ..स्टेज केरिज और कोंतरेक्त केरिज परमिट के नियमों की सख्ती से पालना हो ..सडकों पर ट्रेक्टर और त्रोलियाँ क्रषि सामन के आलावा नहीं चलें ट्रक और ट्रोले नो एंट्री में प्रवेश नहीं करें ..ओवर लोडेड वहन नहीं हों ..सड़कों पर आवारा जानवर और अतिक्रमण न हो चोराहों और सडकों के किनारे विज्ञापन बोर्ड न हो स्पीड कंट्रोल हो ..स्पीड ब्रेकर हो सभी वाहनों की तकनीकी जान्च हो इन नियमों की पालना लगातार कराना होती है लेकिन पुलिस और प्रशासन अख़बारों के बहकावे में आकर केवल दिखावा करते है सड़कें ठीक नहीं करते ..अआवारा जानवर नहीं हटाते और बस दो पहिया वाहन चालक जो गरीब की जोरू की तरह सबकी भाभी समझी जाती है उसे सबक सीखने के लियें उनसे लूट शुरू हो जाती है कल कोटा के प्रशासन की बैठक में हेलमेट नहीं पहनने वाले पर आत्महत्या करने के अपराध दर्ज करने पर चर्चा हुई तो जनाब जो लोग वाहन तेज़ गति से चलाते है उन पर हत्या के मुकदमा दर्ज करवाने पर चर्चा क्यूँ नहीं हुई जो लोग परमिट की शर्तों का उलन्न्ग्घन कर वाहन चलाते है उन पर धोखा धड़ी का मुकदमा दर्ज क्यूँ नहीं हो लेकिन यह सब नोटंकी है जो अख़बारों और मिडिया के कुछ लोगों के निजी स्वार्थों के लियें होता है और चोराहों पर उन पुलिस वालों को तेनात किया जाता है जो अधिकारीयों की दूध देती गाये होती हैं वरना क्या मजाल के शहर में समानांतर रोडवेज़ की तरह निजी बसें विधि विरुद्ध टिकिट काटकर वाहन चलाने लगें और सडकों पर शर्तों का उलन्न्घन कर जीपें और करें चले ओवर लोडेड वाहन चलें । खेर कभी तो कोई अधिकारी कोई पत्रकार ऐसा आएगा जो ऐसे मामलों में सड़क सुरक्षा सप्ताह को सही तरह से मनाने के लियें जनता को राहत पहुंचाएगा और सड़कें आम आदमी की आवाजाही के लियें सभी बाधाओं से मुक्त करवाएगा .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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