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21 जनवरी 2012

फेसबुक, गूगल के कारण देश में गृहयुद्ध की स्थिति

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नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को कहा कि इंटरनेट को सेंसर करने की उसकी कोई योजना नहीं है। लेकिन यहां काम करने की इच्छुक गूगल, फेसबुक सहित सभी कंपनियों को देश का कानून मानना होगा।

सरकार ने सोशल वेबसाइट्स से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि आपत्तिजनक सामग्री की अपलोडिंग रुकनी चाहिए। आईटी और टेलीकॉम सचिव आर. चंद्रशेखर ने बताया, हम किसी तरह की सेंसरशिप में विश्वास नहीं रखते। किसी भी कंपनी को काम करने के लिए उस देश का कानून मानना ही पड़ता है। हर कोई तकनीक जानता है।

कानून से बाध्यकारी होते हुए कुछ प्रक्रिया विकसित करनी जरूरी है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल की है। उसमें कहा गया है कि उसके पास फेसबुक, गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट सहित 21 वेबसाइट्स के खिलाफ कार्रवाई करने के पर्याप्त सबूत है। उनकी वजह से वर्गों में संघर्ष हो रहा है।

राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा भी बन रहा है। गूगल इंडिया के लिए एडवोकेट एनके कौल ने दलील दी थी कि यह मुद्दा अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है। लोकतांत्रिक भारत में बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार ही उसे चीन से अलग करता है।

23 जनवरी को होगी सुनवाई

गूगल इंडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की याचिका पर 23 जनवरी को हाईकोर्ट सुनवाई करेगी। निचली अदालत ने उन्हें वेबसाइट्स पर आपत्तिजनक सामग्री डालने के मामले में समन जारी किए हैं।

इसे ही उन्होंने चुनौती दी है। जस्टिस सुरेश कैत को गुरुवार को दोनों वेबसाइट्स और शिकायतकर्ता की दलीलें सुननी थी, लेकिन उन्होंने इसे 23 जनवरी के लिए टाल दिया। निचली अदालत ने 23 दिसंबर को 21 वेबसाइट्स को समन जारी किए थे। उन पर आपराधिक साजिश रचने, अश्लील किताबें एवं सामग्री युवाओं को बेचने का आरोप है।

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