जोधपुर.बहुचर्चित भंवरी अपहरण प्रकरण के लगभग सारे राज अब खुल चुके हैं। भंवरी के अपहरण और उसकी हत्या में पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक मलखानसिंह विश्नोई, दोनों की भूमिका सामने आ रही है। सोहनलाल व शहाबुद्दीन ने एक सितंबर को भंवरी का अपहरण कर उसे लोहावट के हिस्ट्रीशीटर विशनाराम की गैंग को सुपुर्द किया था।
इस गैंग ने जालोड़ा में नहर के किनारे एक गड्ढे में उसका शव जला कर राख व हड्डियां राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल में बहा दी। सीबीआई ने बुधवार दोपहर उस जगह की पहचान कर वहां सशस्त्र गार्ड तैनात कर दिए हैं। उधर बुधवार दोपहर बाद पुणे में हिस्ट्रीशीटर विशनाराम भी पकड़ा गया, उसे जोधपुर लाया जा रहा है।
सीबीआई ने विशनाराम के भाई ओमप्रकाश से गहन पूछताछ की तो उसने भंवरी का शव जलाने की बात कबूल कर ली और अपने साथियों अशोक, कैलाश और रामनिवास के नाम बताए हैं। ओमप्रकाश की सूचना पर मंगलवार देर रात ब्यावर के पास कैलाश को भी पकड़ लिया गया, उसने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया है। कैलाश ने विशनाराम के पुणे में होना बताया।
इस पर सीबीआई ने महाराष्ट्र सीबीआई और पुलिस से संपर्क कर एक गैस एजेंसी पर दबिश देकर विशनाराम को भी पकड़ लिया। इधर सीबीआई टीम ओमप्रकाश का रिमांड 9 जनवरी तक बढ़वा कर सीधे जालोड़ा गांव ले गई।
ओमप्रकाश की निशानदेही पर सीबीआई नहर के पास पहुंची और घटनास्थल का मुआयना किया।वहां ओमप्रकाश ने मुरड़ का बड़ा गड्ढा दिखाते हुए कहा कि भंवरी को यहां जलाया था, फिर उसकी राख और मुरड़ खोद कर नहर के पानी में बहा दी।
"सीबीआई ने महाराष्ट्र पुलिस की मदद से पुणे में विशनाराम विश्नोई नाम के व्यक्ति को पकड़ा है। उसे जोधपुर में भंवरी प्रकरण की जांच कर रही सीबीआई टीम के भेजा जा रहा है।"
-आरके गौड़, प्रवक्ता, सीबीआ
मदेरणा और मलखान का क्या रहेगा?
आपराधिक मामलों के वकील भंवरसिंह चौहान के अनुसार मदेरणा और मलखानसिंह की भूमिका का खुलासा तो सीबीआई की चार्जशीट से ही होगा। अब तक की जानकारी के अनुसार दोनों आपराधिक षड़यंत्र के आरोपी माने जा सकते हैं।
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