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26 जनवरी 2012

लोग क्यों करते हैं आत्महत्या, यह है इसके पीछे का 'राज'


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बीते दस साल में 15 से 24 साल के युवाओं में आत्महत्या के मामले 200 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसके तेजी से बढ़ने के पीछे अब तक केवल आर्थिक कारणों को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन कई रिसर्च में खुलासा हुआ कि युवाओं में इसकी बड़ी वजह स्कूल और परिवार का दबाव है।

एजुकेशन हब होने के कारण यहां देशभर के छात्र-छात्राएं शिक्षा लेने आते हैं और इसी वजह से यहां ऐसे प्रकरण ज्यादा सामने आ रहे हैं।

डॉ. एमएल अग्रवाल,कोटा. मैं एमबीएस अस्पताल कोटा के मनोचिकित्सा विभाग का पूर्व विभागाध्यक्ष हूं। कोटा में मुझे आत्महत्या के बड़े कारण मानसिक दबाव, मानसिक रोग व पारिवारिक झगड़े लगते हैं।

मैं अब तक सैकड़ों लोगों के फोन कॉल्स अटेंड कर चुका हूं, जो आत्महत्या करने जा रहे थे। कोई भी आत्महत्या करने वाला रातों रात इसका इरादा नहीं करता। युवा तो इसके लिए पहले प्लानिंग भी करते हैं। यहां तक कि वे कुछ दिन पहले से ही मैं अब शिकायत नहीं करूंगा.., अब नहीं आऊंगा.., मैं चला जाऊंगा.., जैसे संकेत भी देते हैं।

हालांकि यह संकेत उनके साथ रहने वाले मित्रों या परिजनों को पता चलते हैं। कई फोन कॉल्स पर तो यह पता चलता है कि आत्महत्या का कारण इतनी छोटी बात है, जिसे मात्र शेयर करने से हल किया जा सकता है। यदि इन बातों की तरफ ध्यान दिया जाए, तो आत्महत्या का इरादा बदला जा सकता है।

युवाओं का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहने के कारण भी वे असफल होने पर आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं। माता पिता और शिक्षकों को चाहिए कि वे हर विद्यार्थी को एक ही तराजू में तौलकर न देखें। बच्चे को उसकी रुचि के विपरीत सब्जेक्ट दिलाने का निर्णय भी उसे सुसाइड की ओर ले जा सकता है।

आत्महत्या का भी है मनोविज्ञान

आत्महत्या के मानसिक, सामाजिक, साइकोलॉजिकल, बायोलॉजिकल एवं जेनेटिक कारण होते हैं। जिन परिवारों में पहले भी आत्महत्या हुई है, उनके बच्चों द्वारा यह रास्ता अपनाने की आशंका है। रिसर्च में सामने आया कि जिनमें आत्महत्या के जीन होते हैं, उनमें बायोकेमिकल परिवर्तन हो जाते हैं। इससे बच्चे या व्यक्ति का मानसिक संतुलन अव्यवस्थित हो जाता है।

इसके कई कारण होते हैं जैसे तनावपूर्ण जीवन, घरेलू समस्याएं, मानसिक रोग इत्यादि। जिन बच्चों में आत्महत्या के बारे में सोचने की आदत (सुसाइडल फैंटेसी) होती है, वही आत्महत्या ज्यादा करते हैं। निजात के लिए आत्महत्या के कारण उससे ग्रसित मरीज के लक्षण एवं भविष्य में उसकी पुनरावृति न हो, इसका भी ध्यान रखा जाए।

युवा वर्ग


युवावस्था संक्रमण काल है, जिसमें युवाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर से कॅरियर, जॉब, रिश्ते, खुद की इच्छाएं, व्यक्तिगत समस्याएं जैसे लव अफेयर, मैरिज, सैटलमेंट, भविष्य की पढ़ाई आदि।

जब वह इस अवस्था में आता है, तो बेरोजगारी का शिकार हो जाता है और भविष्य के प्रति अनिश्चितता बढ़ जाती है। अपरिपक्वता के कारण कई बार परेशानियां आती हैं। जिससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, सायकोसिस, पर्सनालिटी डिसऑर्डर की स्थिति बन जाती है।

इन सब परिस्थितियों से वह जैसे तैसे निकलता है तो परिवार की जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं के बोझ तले दब जाता है। फिर अर्थहीन प्रतिस्पर्धा और सामाजिक व नैतिक मूल्यों में गिरावट, परिवार का टूटना, अकेलापन धीर धीरे आत्महत्या की तरफ प्रेरित करता है।

युवक आत्महत्या के बारे में ज्यादा बात करने लगता है। कई बार आत्महत्या करने की कोशिश करता है और सिगरेट, शराब या अन्य नशा ज्यादा करता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ज्यादा दुखी रहने लगता है और अनिद्रा का शिकार हो जाता है।

ऐसे लक्षण होने पर बगैर देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। व्यक्ति को अकेला न छोड़ें और उसे हर प्रकार से सहयोग दें। उसके पास दवाइयां न छोडें और कोई धारदार हथियार न रखें। कोई पतली रस्सी या ब्लेड भी यहां वहां न पड़ी रहने दें।

इलाज के बाद भी उनको देखरेख में रखें, क्योंकि वे आत्महत्या का प्रयास दोबारा भी कर सकते हैं। अगर वह काम पर जाना बंद कर दें और बात बात पर चिढ़ने लगें तो उसके दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने की कोशिश करें। जरूरत पड़े तो स्वयं उसके कार्यालय या स्कूल जाकर बात करें।


डॉ. चंद्रशेखर सुशील,कोटा. मैं मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मनोचिकित्सा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हूं। मैं पिछले 21 साल से मनोचिकित्सा क्षेत्र में कार्य कर रहा हूं। स्कूल की किशोरावस्था में कॉपी केट सुसाइड के केस ज्यादा होते हैं। इस अवस्था में एक साथ ग्रुप में रहने वाले छात्र-छात्राओं में एक साथ आत्महत्या करने के मामले सामने आते हैं।

ऐसे मामलों में पूरे बच्चों के पूरे ग्रुप के अवसाद का एक ही कारण होता है। ऐसे में एक के सुसाइड करने पर अन्य को भी अवसाद की स्थिति से निकलने का वही रास्ता नजर आता है। वहीं ईगोस्टिक सुसाइड में वे युवा आत्महत्या करते हैं, जो किसी ग्रुप में नहीं होते।

एंट्रयूस्टिक सुसाइड में किसी ग्रुप विशेष के लोगों में आत्महत्या करने की घटनाएं होती हैं। वहीं एक कारण ऐसा भी है, जिसमें तलाक, प्यार में नाकामी, परीक्षा में फेल होना जैसे किसी कारण विशेष से प्रभावित होने वाले लोग आत्महत्या करते हैं।

पुरुष अपने तनाव के कारणों को किसी से शेयर नहीं करते, इसलिए उनके सफल आत्महत्या करने के मामले महिलाओं से चार गुना ज्यादा होते हैं, वहीं महिलाएं अपनी बात ज्यादा शेयर करती हैं, जिससे उनके सुसाइड की कोशिश करने पर बचा लिया जाता है।

उनके कोशिश करने के मामले पुरुषों से चार गुना ज्यादा होते हैं। किशोर व युवाओं की मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है।

महत्वपूर्ण तथ्य

> आत्महत्या, दुनिया में मौत का दसवां सबसे बड़ा कारण है।

> टीनएजर और 35 वर्ष से कम आयुवर्ग में आत्महत्या, असमय मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है।

> हर साल दुनिया में एक से दो करोड़ लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी मौत नहीं होती।

> आत्महत्या पर पहली संस्थागत रिसर्च 1958 में लॉस एंजिल्स में हुई थी।

> दुनियाभर में आत्महत्या करने वालों में से 30 फीसदी जहरीले कीटनाशक को चुनते हैं।

> अमरीका में आत्महत्या करने वालों में से 52 फीसदी पिस्टल या रिवॉल्वर का इस्तेमाल करते हैं।

> सैन फ्रांसिस्को गोल्डन गेट, टोरंटो ब्लूर स्ट्रीट वायाडक्ट, जापान का एओकिगाहारा जंगल और इंग्लैंड के बीची हेड इलाके में आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा है।

1937 में निर्मित गोल्डन गेट से 1200 से अधिक लोग कूदकर आत्महत्या कर चुके हैं।

स्कूल-कोचिंग के छात्रों में यह प्रमुख कारण

> बच्चे का पहली बार माता-पिता से अलग रहना।

> सब्जेक्ट का चुनाव कर पढ़ाई करना।

> बच्चों से परिजनों की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ जाना।

> स्कूल या कोचिंग में समय प्रबंधन का गलत होना।

> बिना नींद के लम्बे समय तक जागना, पढ़ाई करना।

> बच्चों से दूर होने पर माता-पिता होते हैं शिकार।

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