ठाणो के डॉक्टर महेश बेडेकर ने मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर ईवीएम मशीन में नकारात्मक वोट देने का बटन लगाये जाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की दलील दी थी कि जिस तरह से जिस तरह से किस वोटर ने किस पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिया है। यह बात गोपनीय रखी जाती है।
ठिक उसी तरह से यदि कोई वोटर नकारात्मक वोट देना चाहता है, तो उसकी पहचान गोपनीय रख कर उसे नकारात्मक वोट देने की सुविधा ईवीएम मशीन में करनी चाहिए। बेडेकर के वकील संजीव गोरवाडकर ने अदालत से 7 फरवरी को होने वाले 27 जिला परिषद और 16 फरवरी को होने वाले 10 महानगरपालिका के चुनाव में वोटरों को नकारात्मक वोट देने की सुविधा बहाल करने की मांग की।
चुनाव आयोग ने मांग खारिज की
अदालत में निर्वाचन आयोग के वकील सचिन शेटे ने साफ शब्दों में कहा कि फरवरी में होने वाले जिला परिषद और महानगरपालिका के चुनाव में ईवीएम मशीन में नकारात्मक वोट देने का बटन लगाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि आयोग की भी मंशा वोटरों को इस प्रकार की सुविधा प्रदान करने की है, मगर इस वक्त काफी देर हो गई है। शेटे की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आयोग को दो सप्ताह के भीतर जवाब फाइल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई को जनवरी के अंत तक टाल दी।
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