रांची।होटलों से लेकर ढाबों व पार्टियों में जो पनीर आप चाव से खाते हैं, वो किसी जहर से कम नहीं होता। बिहारशरीफ व बख्तियारपुर से प्रतिदिन सैकड़ों टन ऐसा नकली पनीर राजधानी में आता है। दूध पाउडर, मैदा, व्हाइट ग्रीस, डिटरजेंट, गोंद व यूरिया से बने इस जहर के धंधे में शहर के कई कारोबारी शामिल हैं।
राजधानी के कारोबारियों से सीधा संपर्क
प्रतिदिन 400 टिन पनीर बिहारशरीफ व बख्तियारपुर से मंगाया जाता है। तड़के यह हरमू चौक, अरगोड़ा चौक व धुर्वा में बसों से उतारा जाता है। राजधानी के कारोबारियों का बिहार के पनीर बनाने वालों से सीधा संपर्क है। बिहारशरीफ के पुल पर मुहल्ले में नकली पनीर व नकली दूध के उत्पाद का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है।
इलेक्ट्रिक केन में बनता है पुल पर मुहल्ले के कई घरों में पनीर बनाने की मशीन है। दूध के केन जैसी दिखने वाली इस बिजली चालित मशीन में एक बार में लगभग 40 किग्रा तक पनीर बनाया जा सकता है। मशीन में सबसे पहले पानी डाला जाता है, जो लगातार गर्म होता रहता है। फिर उसमें दूध पाउडर डाला जाता है। इसके बाद यूरिया, डिटर्जेट, व्हाइट ग्रीस, मैदा व गोंद मिलाकर मिश्रण को घुमाया जाता है। थोड़ी देर में मिश्रण फट जाता है। इसके बाद पानी निकालकर नकली पनीर को टिन में पैक कर रांची भेज दिया जाता है।
असली से आधा भाव
राजधानी में सुधा का 200 ग्राम पनीर 44 रुपए में बिक रहा है। वहीं, हरमू चौक, अरगोड़ा चौक व धुर्वा आदि जगहों पर उतरने वाले नकली पनीर का कोई भाव तय नहीं होता। यह 70 से 120 रुपए प्रति किलो तक बिकता है। राजधानी में दूध का भाव 30 रुपए प्रति लीटर है और एक लीटर दूध में 150 से 200 ग्राम तक पनीर निकलता है। इसे बनाने में लगभग पांच रुपए खर्च होते हैं। कुल मिलाकर 200 ग्राम पनीर में 35 रुपए खर्च होते हैं। बेचने पर मिलते हैं 44 रुपए। यानी नौ रुपए का फायदा।
ऐसे में 70 रु. या 120 रु. किलो मिलने वाला पनीर नकली नहीं, तो और क्या है। इस बात का दावा नहीं कि 200 से 250 रुपए प्रति किलो बिकना वाला पनीर असली ही होता है।
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