लखनऊ. उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब हैं। लेकिन सूबे की मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां जल्द ही लोगों को नहीं दिखेंगीं।
दरअसल, चुनाव आयोग ने सैद्धांतिक तौर पर यह निर्णय लिया है कि प्रदेश में कई जगहों पर लगीं मायावती और हाथी की मूर्तियों को ढंका जाएगा। इन मूर्तियों को ढंकने का फैसला मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और आयोग के उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया।
कुरैशी ने शुक्रवार को उन जिलों के जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की, जहां राज्य में पहले दौर के लिए मतदान होने हैं।
शनिवार को एक प्रैस कांफ्रैंस में मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि चुनावों के मद्देनजर मायावती और उनके चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों को ढकने का फैसला लिया गया है।
चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बसपा ने कहा कि यह दलित विरोधी पार्टियों के कहने पर हुआ है। बसपा ने निर्णय को चुनौती ने देने का फैसला किया है। लखनऊ में प्रैस कांफ्रैंस में पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि इस फैसले का जवाब बसपा नहीं प्रदेश की जनता देगी। हालांकि बसपा ने चुनाव आयोग के फैसले पर कई सवाल भी खड़े किए।
बसका की ओर से कहा गया कि मायावती और हाथियों को ढकने का आदेश तो दे दिया गया है लेकिन क्या दिल्ली में संसद और राष्ट्रपति भवन को भी चुनावों के दौरान ढका जाएगा क्योंकि वहां भी हाथी लगे हैं।
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बसपा ने चुनाव आयोग से यह सवाल भी किया कि क्या चुनावों के दौरान प्रदेश में साइकिल पर चलने पर रोक लगाई जाएगी और तालाबों में खिलने वाले कमल के फूलों को भी ढका जाएगा। पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या चुनाव आयोग तमाम लोगों से अपने हाथ को ढकने या काटने को कहेगा क्योंकि यह कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हैं?
चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती ने प्रदेश की जनता के धन का दुरुपयोग करके अपने मूर्तियां लगवाईं हैं फिलहाल तो इन्हें ढका जा रहा है लेकिन इनका क्या होगा यह चुनाव के बाद तय किया जाएगा। भाजपा ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है।
चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बसपा के संभल से सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान ने कहा कि मायावती की मूर्तियां को ढकने का आदेश तो दिया जा सकता है लेकिन मायावती जी जिंदा हैं उन्हें अपने वोटरों के बीच जाने से कैसे रोका जा सकता है? मायावती जी से इतना ही डर है तो क्या उन्हें बुर्का पहनाने का आदेश भी दिलवाया जाएगा?
फैसले की आलोचना करते हुए डॉ. बर्क ने कहा, चौराहों पर कांग्रेस के नेताओं की भी तस्वीरें लगी हुई हैं उन्हें भी ढकवाया जाए। यह फैसला दिखाता है कि कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी से कितना डरी हुई है। हतोत्साहित केंद्र सरकार बसपा के कार्यकर्ताओं का हौसला कम करना चाहती है।
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