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07 जनवरी 2012

चुनाव आयोग की घोर लापरवाही के कारण ही देश में लंगडा लोकतंत्र और भ्रष्टाचार है

भारत के चुनाव आयोग को भी अजीब से बिमारी लग गयी है ..टी ऍन शेषन को अगर छोड़ दें तो अभी तक का चुनाव आयोग केसा रहा है सारा देश जानता है भारतीय लोकतंत्र की नींव को बनाने वाला चुनाव आयोग सरकार का खिलौना और देश में लोकतंत्र स्थापित करने के प्रति बेपरवाह नज़र आता है अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में मायावती की मूर्तियाँ और हाथी को ढकने के मामले में तो चुनाव आयोग ने हद ही पार कर दी है ............ दोस्तों आपको पता होना चाहिए के देश में एक अकेला चुनाव आयोग ऐसा मजबूत है जिसके इशारे पर पुरे साल किसी न किसी तरह से सभी कर्मचारी नाचते रहते हैं पुरे साल वोटों की लिस्टें बनना ..फोटो परिचय पत्र बनना चलता रहता है लेकिन आप जानते है हर बार चुनाव आयोग की लापरवाही से हजारों लाखों लोग वोट डालने से वंचित सिर्फ इसीलियें रह जाते हैं के उनके नाम सूचि में दर्ज नहीं किये जाते या फिर गलत दर्ज कर लिए जाते है ...फोटू गलत होते है तो पता नाम गलत होता है ..कई लोगों के नाम दो बार होते हैं कई के फर्जी होते हैं लेकिन ऐसी गलती करने वाले के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं होती ..दोस्तों निर्वाचन नियम है के आयोग उसी पार्टी को मान्यता देगा जो देश के विधान पर भरोसा रखते हुए खुद पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र रखेगी और पार्टी के चुनाव करवाएगी लेकिन आप जानते हैं के गुप्त मतदान पार्टी के विधान के मुताबिक आज तक न तो कोंग्रेस का देखा है और न ही भाजपा का देखा गया है दूसरी पार्टियों की तो बात ही कुछ और है बस एक प्रर्किया की नोटंकी की और मनमाने व्यक्ति ने खुद को अध्यक्ष घोषित करवा दिया ब्लोक से लेकर राष्ट्रिय स्तर पर यही मनमानी है लेकिन चुनाव आयोग खामोश इन मर्तियों को मान्यता दे रहा है इनकी किसी कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप नहीं कर रहा .......चुनाव आयोग की खर्च सीमा प्रति प्रत्याक्षी कितनी है सब जानते हैं लेकिन खर्च करोड़ों करोड़ रूपये होता है हिसाब बेईमानी का होता है तो फिर ऐसा चुनाव आयोग किस काम का खर्च पर खबरों पर विज्ञापनों पर कोई निगरानी नहीं है हालत यह है के निर्वाचन के प्रति जाग्रति पैदा करना अधिकतम मतदान हो इसके लियें व्यवस्था करना सभी मतदाताओं को मतदान में सहायता उपलब्ध कराना चुनाव आयोग का काम है और इस हिसाब से सभी मतदाताओं को उनके घर पर पर्चियां भिजवाने का काम चुनाव आयोग का होना चाहिए ..मतदान स्थल पर चुनाव आयोग के कर्मचारी मदद के लियें तेनात होना चाहिए लेकिन यह सारा काम चुनाव आयोग नहीं करता इसलियें बेचारे प्रत्याक्षी और पार्टी के कार्यकर्ताओं को करना पढ़ते हैं और फिर चुनाव प्रभावित होना तो मामूली बात है ..चुनाव का एजेंडा होता है सरकार चुनाव जीतती है एजेंडा गायब हो जाता है कोंग्रेस भाजपा के साथ तो ना जाने कोन कोन सी प्रति आपस में तालमेल कर सरकार बना लेती है अनचाहे व्यक्ति जनता की मर्जी के बगेर सरकार में भागीदार बनते है और फिर लोकतंत्र देश और जनता के साथ खुलेआम टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह बलात्कार होता है ........ जनाब यह तो रही चुनाव आयोग की कमजोरियां अरबों खरबों रूपये खर्च करने के बाद भी अगर ऐसा होता है तो फिर देश में चुनाव आयोग नाम का दफ्तर किस काम का जनाब .......अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में हाथी और मायावती की मूर्तियों को ढकने का आदेश हुआ चुनाव आयोग का कहना है के यह सब पार्टी का चुनाव चिन्ह है और नेता की मूर्ति है ........... देश में कई स्थानों पर कोंग्रेस और भाजपा के दिवंगत नेताओं की मूर्तियाँ लगी है ...........वेसे तो चुनाव आयोग ने नियम बनाया था के जानवरों को चुनाव चिन्ह नहीं बनाया जाएगा लेकिन राष्ट्रीय पुष्प कमल ..जानवर हाथी और शेर .............एक कटा हाथ या पंजा ..ऐसे न जाने कितने चुनाव चिन्ह दे दिए गये है अब अगर चुनाव आयोग सही दिशा में निष्पक्ष काम करने की बात करे तो जेसे हाथी और माया वती की मूर्तियों पर पर्दे लगवाये है ऐसे ही कमल जहाँ जहाँ भी खिले हैं वहां तालाबों से कमल की खेती रुकवाना पढ़ेगी और जहाँ जहाँ मस्जिद और दरगाहों पर हाथ का पंजा लगा हे उसे भी चुनाव की निष्पक्षता को देखते हुए हटवाना पढ़ेंगे या फिर पर्दे लगवाकर उन्हें छुपाना पढ़ेंगे तो जनाब ऐसे चुनाव आयोग का क्या करे कोई जो अरबों रूपये खर्च करवाने के बाद भी ढीला बे मतलब का ऐसा निर्वाचन करवाए जहाँ एक तो दागी लोग जीत कर आयें और जो जीतें वोह दल बदल कर या निर्द्लियें होने पर सोदेबाज़ी कर सरकार में घुस जाए और देश को लुटने में लग जाए ..इतना ही नहनी जो वायदा जो घोषणा पत्र चुनाव का हो सरकार बनने के बाद उस घोषणा पत्र को सरकार या जीती हुई पार्टी ठंडे बसते में डाल दे और चुनाव आयोग है के इन्तिज़ार करे के कब एक आयुक्त रिटायर हो और हम अपनी पसंद के आदमी को सरकार से सिफारिश कराकर चुनाव आयुक्त बनवाएं तो दोस्तों यह लंगड़ा लोकतंत्र जो बना है इसका दोष चुनाव आयुक्त का भी है जिसे सुधारना होगा ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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