तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 जनवरी 2012
राजनीती में यह जूतम पैजार क्यूँ है ..
राजनीती में यह जूतम पैजार क्यूँ है ..यह एक सवाल इस देश के लियें इस देश में वोटर्स ..इस देश की आम जनता के लियें बन गया है ...सडक हो ..सियासी गेर सियासी बैठक हो बस एक जूता चलता है और मिडिया में खबर चलती है ..जूता उछलने वाला हीरो बन जाता है ॥ पुलिस है के इस घटना को गम्भीरता से नहीं लेती और राजनितिक लोग है के बस इसे आरोप प्रत्यारोप की घटना बनाकर हंसी ठिठोली बना देते है ...लेकिन दोस्तों यह देश में ज़हर घोलने जेसी घटना है देश इन घटनाओं से आहत है और देश में एक हिंसा मारकाट की शुरुआत करने की साज़िश है जरा सोचो इस तरह की घटनाए बढ़ी और भीड़ ने अगर ऐसे जूतेबाज़ों को वहीं पीट पीट कर मार डाला तो फिर हिंसा का यह दोर थमने का नामा नहीं लेगा ..ऐसे लोग जो इस तरह की घटना में शामिल है उनका दिमागी इलाज कराकर या तो उन्हें पागलखाने भेजना चाहिए और अगर दिमागी तोर पर वोह फिट है वोह राजनीति कर रहे है वोह इस तरह की हरकत कर थोथी पब्लिसिटी जीतने की साजिशों में लगे है तो ऐसे लोगों के लियें कानून को अपना काम करना चाहिए अदालतों को भी इन अपराधियों की जमानत के मामलों को गम्भीरता से लेना चाहिए एक सभा को भडकाना ..एक विचारधारा को अपमानित करना ..सभा में विद्रोह करना ..नफरत और द्वेषता का माहोल बनाना कानून में ऐसी दर्जनों धाराएं है जो ऐसे लोगों से निपटने के लियें काफी है अगर ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस कानून का सही इस्तेमाल करने लगे तो फिर दुसरा कोई नया व्यक्ति सियासत के नाम पर इस तरह की खतरनाक कृत्य न करे ....... हमारे राजस्थान की एक घटना मुझे याद आती है राजस्थान में कथित रूप से विश्व हिन्दू परिषद के नेता जी प्रवीन तोगड़िया जी ने कानून का मजाक उढ़ाते हुए ..यहाँ दो समुदायों में नफरत फेलाने की गरज से त्रिशूल धारण किया कार्यकर्ताओं को त्रिशूल धारण करवाया बात छोटी सी थी लेकिन अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे उन्होंने कानून को अपना काम करने के निर्देश दिए यकीन मानिए कानून का डंडा चला प्रवीन तोगड़िया जी गिरफ्तार हुए जेल गये जेल में मच्छरों ने काटा उनकी जमानत के प्रयास हुए तो सरकार ने भी उनकी जमानत ख़ारिज करवाने में पूरी ताकत पूरी जान लगा दी नतीजा कानून का राज स्थापित होने से तोगड़िया जी और उनके समर्थ डर गये सहम गये और अदालत को उनकी जमानत लेते वक्त कठोर शर्ते रखना पढ़ी बस इस घटना के बाद से तोगड़िया जी ने कमसे कम राजस्थान में तो कानून का पाठ पढ़ लिया और अराजकता की कार्यवाही त्याग दी ...तो दोस्तों कानून जब ऐसे शीर्ष दर्जे के लोगों को सबक सिखा सकता है तो यह गली छाप लोग किस खेत की मुली है ..इस मामले में राजनीति और समाज सेवक लोगों को भी थोड़ा चिन्तन करना होगा मनन करना होगा और एक जुट होकर ऐसे लोगों को सबक सिखाने का मन बनाना होगा ऐसी घटनाओं पर माफ़ करने की सियासत ..छोड़ देने की सियासत ..आरोप प्रत्यारोप की सियासत अगर चलती रही तो कल मेरी बारी थी आज उसकी बारी है तो कल तुम्हारी बारी आने वाली है वाली कहावत के तहत राजनीती के नाम जुत्म्पेज़ार का खेल शुरू हो जाएगा और फिर भीड़ ऐसे लोगों को पिट पिट कर हत्या करने लगेगी हर सभा कोई भी शरारती तत्व खुनी सभा में बदलने लगेगा और यह सब इस देश की संस्क्रती इस देश के सुक्ख शान्ति के लियें ठीक नहीं होगा इसलियें ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने के लियें कानून का डंडा उठाना जरूरी हो गया है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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