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26 जनवरी 2012

ऐसे परोसें खाना तो नहीं लेनी पड़ेगी पेन-किलर


आयुर्वेद सदियों से भोजन या अन्न को जीवन के लिए श्रेष्ठ मानता रहा है और हमने यह सुना भी है कि निरोगी तन के लिए निरोगी अन्न भी जरूरी है- और यदि यह प्यार से बनाया,परोसा और खिलाया जाय तो क्या कहने, इसलिए हमने अक्सर घर के खाने में ये सभी गुण बताये गए हैं, अब वैज्ञानिकों की मानें तो यदि भोजन प्यार से बनाया और परोसकर खिलाया जाय, तो यह दर्द को भी दूर करने में मददगार होता है। अब वैज्ञानिकों ने ठीक उसी बात को दुहराया है, जिसे सदियों से हमने अपनी दादी-नानी-मां और पत्नी द्वारा रसोई में बनाए गए खाने से प्राप्त किया है। शायद यह हमारी परम्परा और संस्कृति क़ी शोधपरक तकनीक रही है, जिसे हमारे पीछे-पीछे आज के वैज्ञानिक विभिन्न शोधों द्वारा पुष्ट कर रहे हैं, यूं ही नहीं हम एक महान देश की संस्कृति के संवाहक कहे जाते हैं।

यूनिवर्सिटी आफ मेरीलैंड के शोधकर्ताओं क़ी मानें तो दर्द से पीडि़त रोगियों को यदि प्यार से बनाकर भोजन खिलाया जाय ,तो वह उसके दर्द को भी दूर करने में सहायक होता है। वैज्ञानिक कर्ट ग्रे का कहना है, कि हमारी भावनाएं इस दुनिया के भौतिक अनुभवों पर अच्छा या बुरा प्रभाव डालती हैं, चलो देर से ही सही अब वैज्ञानिक आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को घुमा फिराकर ही सही ,मान तो रहे ही हैं । उनका कहना है ,अच्छी भावना दर्द को घटाने,खुशियां बढाने और स्वाद को बढाने में सहायक होती है। यह अध्ययन जर्नल सोशल साइकोलोजिकल एंड पर्सनालिटी साइंस में प्रकाशित हुआ है।

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