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21 जनवरी 2012

जावेद अख्तर ने कैसे की एक खूबसूरत चुड़ैल से शादी!



जयपुर.प्रसिद्ध गीतकार गुलजार और प्रसून जोशी ने कहा है कि टीवी हमारी चुडै़ल और बच्चों की इमेजीनेशन खा गया है। शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में स्कूली बच्चों के साथ संवाद के दौरान उन्होंने मकड़ी फिल्म की चुड़ैल को दुनिया की सबसे बेहतरीन चुड़ैल बताया। उन्होंने कहा-शबाना (आजमी) से खूबसूरत चुड़ैल और कौन होगी?

यह तो जावेद साहब (जावेद अख्तर) से पूछना होगा कि उन्होंने ऐसी खूबसूरत चुड़ैल को कैसे मनाया और कैसे एक चुड़ैल से शादी कर ली! उन्होंने कहा कि शबाना ने चुड़ैल के पात्र को जीवंत कर दिया।

‘सुनो-सुनो कहानी’ वर्कशॉप में सवाल था बच्चों में कल्पनाशीलता का। गुलजार ने बच्चों से चुड़ैल के बारे में अपनी कल्पना पूछी। बच्चों ने जो कल्पनाएं पेश कीं तो गुलजार बोले-हमारी इमेजिनेशन में अब तक की सबसे खूबसूरत चुड़ैल मकड़ी फिल्म वाली शबाना हैं।

शबाना ने मकड़ी में अभिनय की नई खूबसूरतियां उकेरी हैं। इस संवाद में चुड़ैल, कविता की भाषा, अक्षरों की पहचान और बचपन को मासूमियत के साथ बचाए रखने के जहीन-शहीन तरीके भी चर्चा में आए। इसमें गुलजार का साथ दिया प्रसिद्ध संवाद लेखक प्रसून जोशी ने।

जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल का दूसरा दिन भी गुलजार के नाम रहा। जब साढ़े 12 बजे डिग्गी हाउस के एक हिस्से की छत पर प्रदेश भर से 80 बच्चों के साथ मौजूद थे तो नीचे सीढ़ियों पर करीब 1500 से 2000 लोग गुलजार को सुनने के लिए बेताब खड़े थे। न इन्हें ऊपर जाने की इजाजत मिली और न किसी रिपोर्टर या फोटोग्राफर को। लेकिन इसमें सिरोही, बीकानेर, तिलोनिया आदि कई इलाकों से बच्चे सुबह से मौजूद थे।

गुलजार ने बात बढ़ाई और चुड़ैल की कल्पना करने को कहा तो किसी ने कहा कि चुड़ैल के पांव उलटे हैं। किसी ने कहा, बाल लंबे। किसी ने काली कहा तो किसी ने कहा, चीनी। किसी ने कहा, साड़ी पहनती है तो किसी ने कहा, कान बड़े हैं। लेकिन गुलजार को पसंद आई स्टेप बाई स्टेप की सलोनी की चुड़ैल। वह बोली : मेरी चुड़ैल रोज रात को दीवार से उलटा उतरती है। उसके लंबे बाल नीचे लटक रहे हैं। वह हमारे डर पर खिलखिलाती है।

एक बच्चे ने कहा, वो साड़ी पहने थी। गुलजार बोले, हां भई हिंदुस्तानी चुड़ैल होगी! सभी बच्चे ठठा कर हंस पड़े। फिर बोले, हां भई, काले कपड़े हों। दांत, कान और बाल लंबे हों तो ऐसी डरावनी चुड़ैल अच्छी लगती है।

पहाड़ की चुड़ैल

पहाड़ से आई एक शिक्षक ने बताया, हमारे यहां आचरी होती है। ये आकर्षक चुड़ैल जवान लड़कों को प्रेम के बहाने ले जाती है। पहाड़ की ये आचरी बड़ी खूबसूरत होती है।

मेरा आईक्यू बच्चों जैसा :

शुरुआत में संचालिका अंग्रेजी बोलने लगीं तो गुलजार ने ही फटकार लगा दी : बच्चों की भाषा में बोलो। गुलजार ने कहा : ‘मैं जयपुर आकर बच्चों से हर बार मिलता हूं। मेरा आईक्यू भी बच्चों जैसा है। मैं सबसे खुशकिस्मत इनसान हूं।’ एक महिला शिक्षक ने शिकायत की, ‘टीवी देखकर बच्चे बिगड़ गए हैं।’ गुलजार ने बोले, ‘नहीं, बड़ों को देखकर टीवी बिगड़ गया है!’

अ से आम नहीं, आईसक्रीम

गुलजार ने कहा, शिक्षक तो आज भी आ-आम और थ-थन ही पढ़ाते हैं, लेकिन 70 प्रतिशत बच्चे आ-आईसक्रीम और थ-थर्मामीटर या थर्मस से ही अक्षर सीखते हैं। बच्चे नई तहजीब रच रहे हैं। आज की तहजीब को बच्चे ही गढ़ रहे हैं।

रेडलाइट से झरता है पैसा

प्रसून जोशी ने कहा, आपके लिए रेडलाइट वाहन रोक देती है। बड़ी खराब होती है। लेकिन भीख मांग रहे बच्चे ने मुझे बताया कि यह उसके लिए ग्रीनलाइट है। पैसे देने वाली लाइट।

बच्चों के लिए लय जरूरी है

साहित्य की एक शिक्षक ने कहा, बच्चे तो तुकबंदी वाली कविताएं पसंद करते हैं। वे फ्री-वर्स कब पढ़ेंगे। गुलजार ने कहा : इस उम्र में लय जरूरी है। लय नहीं होगी तो रियाज नहीं होगी। लय के बिना जय नहीं है। लय के बिना कोई शय नहीं है। लयबद्ध कविताओं से शब्दों का अर्थशास्त्र बनता है।

जुबानों को ब्लॉक्स में बंद मत करो

गुलजार ने कहा, जुबानों को ब्लॉक्स में बंद मत करो। ऐसा करोगे तो जुबानें क्लासिक हो जाएंगी। जुबान जिंदा रहेगी तो बढ़ती जाएगी। प्रसून बोले : जुबान अड़ गई तो समझो सड़ गई।जिंदा जुबान की साउंड और खुशबू ही साहित्य जनती है।

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