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25 जनवरी 2012

नेता सब चोर ..नेता सब निकम्मे है यही हमारे इस लोकतंत्र की हार है ...

आज पुरे देश में गणतन्त्र का जश्न बनाने की रस्म निभायी जा रही है कल इसी देश में मतदाता दिवस मनाया गया था यहाँ कहने को तो रोज़ किसी न किसी रूप में कोई न कोई त्यौहार कोई न कोई दिवस मनाया जाता है लेकिन देश के दो बढ़े पर्व एक तो स्वतन्त्रता और दूसरा आज का गणतन्त्र महत्वपूर्ण अविस्मरनीय और गोर्व्शाली दिन है ..इन समारोह के चलते देश के लोकतंत्र के रक्षक बन कर निकले अन्ना हजारे ने जब लगातार हो रहे भ्रष्टाचार से तंग आकर कह डाला के भ्रस्टाचार से पीड़ित व्यक्ति के पास अंतिम उपाय भ्रष्टाचारी के थप्पड़ मरना है तो देश भर में हंगामा बरपा हो गया ... अन्ना ने भ्रष्ट लोगों के लियें जो बात कही वह सभी राजनितिक लोग जो खुद को भ्रष्ट समझते है अपने दिल पर लगा बेठे और अन्ना को भगा भगा के देश से निकालने का नारा देने लगे ..यह किसी हिंसावादी पार्टी के लोग नहीं थे यह बजरंग दल और शिवसेना या मनसे के कार्यकर्ता या नेताओं का टुच्चा गली छाप बयान नहीं था यह वोह लोग है जिनके गाँधी की गोडसे ने हत्या की थी और आज यही लोग जब देश में एक गांधी पैदा हुआ है देश में भ्रष्टाचर के खिलाफ लड रहा है उसी व्यक्ति को भगा भगा कर मारने का नारा देकर गोडसे बनना चाहते है इन्हें पता नहीं के यह चाहे कोंग्रेस की पार्टी में होंगे लेकिन इनके अतीत में कहीं ना कहीं गेर कोंग्रेसी होने का इतिहास निकलेगा यह लोग वोह है जो कुर्सी के लिए कोंग्रेस में आये है वरना इनका दिल तो आज भी हिंदुस्तान के खिलाफ है ..जिस बात से राहुल गान्धी ...मनमोहन सिंह .सोनिया गाँधी को कोई फर्क नहीं पढ़ता उसी बात पर कत्थक करने वाले हिंसक कथित कोंग्रेसी संसद वर्मा मध्यप्रदेश की उपज है तो भाजपा के राजनाथ सिंह उत्तरप्रदेश और कुछ लोग बिहार के है ....दोस्तों कल टीवी और मिडिया में इस मामले को लेकर काफी हल्ला मचा ..एक तरफ जब हम मतदाता दिवस मना रहे थे ..दूसरी तरफ जब हम देश के लोकतंत्र देश के संविधान को याद करने के लियें देश के शहीदों को याद करने के लियें टिरेस्थ्वे गणतन्त्र समारोह की त्य्यारियों में जुटे थे तब अचानक यह बवाल और वोह भी राजनितिक पार्टियों की तरफ से शर्मनाक है .इससे लगता है के आज देश का लोकतंत्र तार तार है ..अन्ना द्वारा जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते लड़ते थकने वालों को भ्रष्टाचारियों पर थप्पड़ मारने के आखरी विकल्प की बात कही थी तब सुरेश कलमाड़ी ..ऐ राजा ... कनिमोझी ..कोड़ा ..नाराज़ होते तो समझ में आता लेकिन कोंग्रेस और भाजपा के लोगों की नाराज़गी इस बात का सबूत है के उनके अंतर्मन से खुद को भी ऐसे लोग जनता के दरबार में चोर और बेईमान मानते है उन्हें पता है के अगर यह लड़ाई लम्बी चली तो भ्रष्ट लोग खुद को ज्यादा दिन नहीं बचा पायेंगे और एक दिन वोह आ जाएगा के इन लोगों के काले धन के खजाने जो स्विस बेंक में पढ़े है देश में वापस आयेंगे इनके मुख पर भारतवासी कालिख पोतेंगे यह लोग जेल में और सिर्फ जेल में होंगे ..शायद इसीलियें यह लोग अन्ना की बात का बुरा मान रहे है अन्ना और उसके समर्थकों का गला दबाने का प्रयास कर रहे है .पहले संसद की अवमानना से डराया ..फिर मुकदमों से डराया ..नहीं डरे तो फिर गुंडागर्दी और धमकाने पर आ गये कहते हैं हम सांसद है अरे भाई तुम सांसद हो तो किसने तुम्हे चुना है अगर जनता ने चुना है तो जनता की आवाज़ सुनो तुम खुद को लोकसेवक कहकर करोड़ों रूपये के भत्ते क्यूँ उठाते हो ..क्यूँ तुम लोग खुद को शासक कहते हो ......शायद यह लोग नहीं जानते के संसद किस के प्रति जवाबदार है ..जनता संसद से बढ़ी है ...कहते है लड़ना है तो चुनाव लडकर आओ अरे आपात स्थिति के बाद के हालात याद करो जब तुम लोगों को बंद करने के लियें जेलें कम पढ़ गयी थीं और भ्रष्टाचार की सुनवाई के लियें अदालतें कम पढ़ गयी थी देश में गेंहू ..चांवल ..आटा ..डाल ..तेल घी सब जीरो मूल्य पर था जनता के लियें वोह राम राज था और तुम्हारे लिए वोह काला शासन लेकिन कहते है चोर चोर मोसेरे भाई होते है इसीलियें आज लोकतंत्र को गिरवी रख कर सभी लोग इतर रहे हैं संसद केसे चलेगी ..संसद और निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्या कर्तव्य होंगे ....अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह या फिर बेईमान संसद ..निर्वाचित प्रतिनिधियों को क्या और केसा दंड मिलेगा उनकी सुनवाई कोन करेगा इसे तय करने का अधिकार जनता सिर्फ जनता के पास है एक बार सिर्फ एक बार जनता इसमें कामयाब हो जाये फिर देखते है के यह सांसद जो खुद को सांसद समझ कर इतराने लगते है अगर कर्व्यों से विमुख होते हैं तो उन्हें क्या कुछ भोगना पढ़ सकता है ,,,,यह तो हुई कानून की बात लेकिन दोस्तों आप खुद देख लो हमारे नेताओं ने हमारे सांसद और विधायकों ने नेतिकता कहां खो दी है इनमे देश को बचाने और देश के बारे में सोचने की लायकी नहीं है इसलियें हम इन्हें रिजेक्ट करते है और आज जनता की जो आवाज़ है के नेता सब चोर ..नेता सब निकम्मे है यही हमारे इस लोकतंत्र की हार है ... एक फिल्म में एक नायक के हाथ पर लिखा था के मेरा बाप चोर है लेकिन आज तो कुदरत की सितम ज़रिफी है के विश्व के सबसे बढ़े लोकतंत्र विश्व के सबसे बढ़े संविधान के इस देश में हर वोटर के माथे पर लिखा है के मेरा नेता चोर है मेरा नेता चोर है ....... खुदा इस निजाम इस हालत को बदल दे और एक क्रान्ति के बाद फिर से मेरे इस देश के कानून मेरे इस देश के संविधान को पुनर्जीवित कर दे फिर से मेरे इस देश को आज़ाद कर यहाँ जनता के लियें जनता का शासन स्थापित कर दे ...आमीन सुम्मा आमीन .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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