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09 जनवरी 2012

अप्रवासी भारतीय जो देश को सिर्फ चुग्गा खाना समझ कर चुगने आते है दर्द देकर एक मतलबी कर तरह छू हो जाते है उनका सम्मान होना चाहिए या अपमान बताइए जनाब

राजस्थान में इन दिनों राजधानी जयपुर में अप्रवासी भारतियों का मेला लगा है ..जी हाँ इन अप्रवासी भारतियों को केंद्र और राजस्थान सरकार ने अपनी मेजबानी में इन्हें माई बाप का सत्कार देकर काफी रियायतें दी है ..लोग खुश है और राजस्थान में इन लोगों को बहतरीन इज्ज़त के साथ सुविधाएँ दी गयी हैं .......... दोस्तों इन अप्रवासी भारतियों के लियें आप क्या सोचते है मुझे पता नहीं लेकिन जो लोग चंद रुपयों के लालच में अपना देश छोड़ कर अपनी प्रतिभा को विदेशों में बेच कर रुपया कमाते हैं में तो कतई ऐसे लोगों को इज्ज्ज़त के लायक नहीं समझता हम देश वासी भूख गरीबी तकलीफों के बाद भी हमारे इस देश में इस देश के निवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मुसीबतों से लड़ते है हम मुकाबला करते हैं लेकिन देश छोड़ कर नहीं जाते ..लेकिन कुछ लोग हैं जो रुपयों के लालच में हमारे देश में पलते हैं ..बढ़ते हैं और जब हमारे देश को इन लोगों की जरूरत होती है इनकी प्रतिभा की जरूरत होती है तो यही लोग महंगे दामों में सोदेबजी कर देश के प्रति अपनी निष्ठां अपना मान सम्मान सब नीलाम कर विदेश चले जाते हैं ...एक इंजीनियर जिसे हमारा देश इंजिनियर बनता है वोह हमारे देश में कोई चमत्कार नहीं बताता लेकिन विदेशों में जाकर चंद रुपयों के खातिर अपनी प्रतिभा विदेश में जाकर बेचता है एक डॉक्टर हमारे देश में पढ़ता है लेकिन विदेश में जाकर मरीजों का इलाज करता है एक वैज्ञानिक भी हमारे देश के साथ यही करता है और फिर व्यापारियों का तो कहना ही क्या वोह भी ऐसा ही करते हैं ....हमारा भारत देश है के इन भगोड़ों को वापस देश में लाने के लियें लालच देते हैं इन्हें कथित रूप से अप्रवासी भारतीय का दर्जा देकर भारत से जोड़े रखते हैं इन्हें रुपयों के मामले लालच दिया जाता है टेक्स की छुट दी जाती है ..शहर में रहने के लियें रियायती दरो पर जमीन देकर कोलोनियाँ बनाई जाती है इन्हें रहने खाने पीने की विशेष रियायत दी जाती है और अब राजस्थान में इनके आगमन पर इनके नाम से अप्रवासी दिवस जो रखा गया है उसे उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है राजस्थान सरकार इनकी गुलाम बन गयी है इन कथित अप्रवासियों ने देश और राजस्थान को क्या दिया यह तो पता नहीं लेकिन राजस्थान सरकार के अतिथि सत्कार और आयोजनों के अलावा विज्ञापनों में करोड़ों करोड़ रूपये खर्च हो गये है यही खर्च सरकार अगर गरीबों पर खर्च करती तो वोह सरकार का एहसान मानते लेकिन जनाब यह तो अप्रवासी है देश में फिर दाना चुगने आयेंगे देश और देश की संस्क्रती को बुरा बतायेंगे और फिर वापस विदेश में जाकर अपनी संस्क्रती को बिगाडेंगे ..इनके दिलों में अगर राजस्थानी या हिन्दुस्तानी होने का जज्बा होता तो यह यूँ देश छोड़ कर नही जाते यह तो व्यापारी है और इनका ईमान व्यापर है इसलियें यह तो बस देश और देश वासियों के साथ व्यापार करेंगे और व्यापार तो ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी हमारे साथ क्या था अब बहु राष्ट्रिय कम्पनियां हमारे साथ व्यापार कर रही है लेकिन दोस्तों यह अप्रवासी हमारे साथ व्यापार भी कर रहे है .हम पर एहसान भी कर रहे है और हमारे देश की राजनीति पर माफिया दोन की तरह काबिज़ भी है यह हमारे देश में किसे किस पार्टी से टिकिट मिले कोन मंत्री बने कोन मुख्यमंत्री बने इसका निर्धारण भी करने लगे हैं क्योंकि हमारे देश के मंत्री और नेता विदेश में जाकर इनकी महमान नवाजी के आगे देश और देश की संस्क्रती को भूल कर सिर्फ इन्हें केसे फायदा पहुंचाया जाए इस बारे में सोचने लगते है ................ इसलियें जनाब अप्रवासी तो वोह पंछी है जो देश को सिर्फ चुग्गा खाना समझते है और यहाँ दर्द छोड़ कर सिर्फ दर्द देकर ही जाते है आपका क्या कहना है जनाब ..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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