आपका-अख्तर खान

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01 जनवरी 2012

प्रधानमन्त्री जी को उनके अपने समाज के लोगों द्वारा उनके अपने घर में काले झंडे दिखाने का मतलब

आज अमृतसर जो सिक्खों का गढ़ है सरदारों की पवित्र भूमि है वहा देश के सरदार बने प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह जब जाते है तो आज उन्हें वहां अन्ना के मामले में काले झंडे दिखाए जाते हैं यह काले झंडे किसी और शहर में दिखाए जाते तो बात थी लेकिन जब घर में अपने ही समाज अपनी ही जाती के लोगों द्वारा विरोध दर्ज कराया जाए तो बस यही सोचना चाहिए के आपकी किसी कार्यशेली से देश तो दूर आपके अपने भी खुश नहीं है ........... दोस्तों अंग्रेजों के वक्त अंग्रेजी कानून ..अंग्रेजी अधिकारीयों की कारगुजारियों के खिलाफ भारतीय देशभक्त काले झंडे दिखा कर उनकी नीतियों का विरोध करते थे अँगरेज़ समझ जाते थे के उनकी नीतियों से भारतीय खुश नहीं है ..कई बार आर पार की ठोका ठाकी वाली लड़ाई भी हो जाया करती थी गिरफ्तारियां होती थी ..दोस्तों फिर देश आज़ाद हुआ सोचा जनता के लियें जनता का शासन है जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि सरकार में बेठेगा तो वोह जनता की सोचेगा जन हित के काम करेगा जनता की भावना समझेगा और जनसुनवाई करेगा ..किसे पता था के निर्वाचित होने के बाद चुनाव में वोट मांगते वक्त जिसकी छवि राम की होती है वोह चुनाव जीतते ही रावण बन जाता है और जनता अगर कोई बात कहती है तो कहता है के हम बढ़े हैं संसद में हम चाहेंगे वोह होगा जनता कोन होती जनता तो जाये भाड़ में ..कुछ लोग अगर सच कहते है तो सांसद इतना बुरा मान जाते है के उन्हें जेल पहुँचने की त्य्यारियों में जुट जाते है तो दोस्तों यह आधुनिक लोकतंत्र स्व निर्मित है जिसे सांसदों ने खुद ने निर्मित कर दिया है सरकार ने खुद ने ऐसा लोकतंत्र बना दिया है जो किताबों में जो लोकतंत्र की परिभाषा है उससे कोसों और कोसों दूर है ...दोस्तों आज आप और हम देखते है जब भी हम देश के बिगड़े हालातों को देख कर उस मामले में सरकार और सरकार के मंत्रियों या फिर अधिकारीयों को सजग सतर्क करना चाहते है और वोह नहीं सुनते तो सार्वजनिक रूप से वोह सही नहीं है वोह जो कर रहे है गलत कर रहे हैं और जनता उनसे खुश नहीं है यह प्रदर्शित करने के लियें काले झंडे दिखाने की योजना बनाते है यह प्रदर्शन कहने को तो प्रतीकात्मक होता है लेकिन दोस्तों जमीर जगाने की एक कोशिश होती है .अब यह तो आधुनिक लोकतंत्र है यहाँ इन दिनों इन हालातों में सरकारी अधिकारी है के काले झंडे का नाम आते ही काले झंडे दिखने की योजना बनाने वालों को या तो गिरफ्तार कर लेते है या फिर पीट पीट कर अधमरा कर देते है तो दोस्तों काले झंडे दिखाने में वहीं कामयाबी मिलती है जहाँ नेता यह समझता है के सब लोग मेरे ही तो हैं कुछ बिगड़ेगा नहीं इसलियें आज प्रधानमन्त्री जी को जो काले झंडे उनेक घर में उनके अपने समाज के अपने लोगों ने दिखाए है उसे वोह गम्भीरता से ले अपने जमीर को जगाएं देश और देश के लोकतंत्र को बचाने के लियें गुलामी छोड़े और अंतर्रात्मा की आवाज़ पर एक बार फिर आर्थिक नीतियों और लोकपाल के बारे में पुनर्विचार करें नहीं तो खुद को अगर वोह बेबस समझते हैं तो फिर पद छोड़ कर घर बेठें या फिर गुरुद्वारे में जाकर प्रायश्चित के रूप में कर सेवा करें ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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