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01 जनवरी 2012

यहां सजती है मानवीय अंगों की 'मंडी', 35 हजार दो और किडनी लो

लखनऊ। लाओ चालीस दोगे... किडनी लेना है। मगर एडवांस देना होगा। उधारी, बेरोजगारी से परेशान और नशेड़ी लड़के तो 35 हजार रुपये लेकर से डेढ़ लाख रुपये तक में किडनी बेचने को तैयार है। यह बात बेबाक तरीके से किडनी गंवा चुके पांच में से ज्यादातर युवक कबूलते है। उनका कहना है कि पकड़े गए गिरोह का नेटवर्क बहुत मजबूत है।

अस्पताल में किडनी की जांच करा कर वापस जा रहे राजेन्द्र , कल्लू, पप्पू , अनिल व अभिषेक मुखर्जी इस गिरोह को पकड़ाना चाहते हैं। उनका मानना है कि किडनी बेचना इनका बिजनेस है। पप्पू बाल्मीकि ने बताया कि शराबी लड़कों के अलावा उधारी बेरोजगारी से परेशान युवकों को भी यह निशाना बनाते है। उनके नेटवर्क में खून के ग्रुप के अनुसार लड़के रखे जाते हैं।

अनिल का कहना है कि यह लोग किसी प्रकार लालच देकर खून व अन्य जांच करा लेते है। इसके बाद यह लोग चंडीगढ़ में अस्पताल को बता देते हैं कि इस ग्रुप के खून व अन्य जांच के अनुसार किडनी मौजूद है। इसके बाद जैसे ही अस्पताल से किडनी लेने का आर्डर आता है वैसे ही लालच के जाल में फंसे युवकों को मांग के अनुसार एडवांस में चालीस से एक लाख रुपये देकर चंडीगढ़ ले जाते हैं।

यह लोग उधारी से परेशान युवकों की उधारी चुकाते हैं। उसके बाद उन्हें घेरा बंदी करके किडनी बेचने के लिए मजबूर कर देते है। यह लोग चंडीगड़ में किडनी निकलने से पहले तो खूब खातिरदारी करते है। किडनी निकलते ही यह उपेक्षित कर देते हैं और जल्द से जल्द लखनऊ भेज देते हैं।

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