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06 जनवरी 2012

खबरदार! अगर घर-गृहस्थी में घट रही हों ये 6 बातें



शास्त्रों में गृहस्थ जीवन को धर्म पालन का अहम पड़ाव माना गया है। क्योंकि गृहस्थी में भी हर मुखिया कार्य, व्यवहार व आचरण में धर्म भावों जैसे सत्य, अहिंसा, प्रेम, क्षमा या परोपकार को अपनाकर ही परिजनों में भी स्नेह, संवेदना, मेलजोल, सहयोग और एकजुटता की भावना को कायम रख सकता है।

सुख-शांति के ऐसे वातावरण के लिए जरूरी है कि हर मुखिया हर वक्त किसी भी विषय, बात या मसले को लेकर ऐसे निष्पक्ष फैसले लेता रहे, जिससे कोई भी पक्ष आहत न हो और हल भी निकलता रहे। किंतु कार्य, जिम्मेदारियों और वक्त के साथ तालमेल के अभाव में अनेक अवसरों पर गृहस्थी में तनाव, विवाद, अशांति और कटुता के हालात परिवारिक दशा को बिगाडऩे लगते हैं।

शास्त्रों में घर-परिवार की दुर्दशा का कारण बनने वाली वाली 6 ऐसी ही बातों से हर इंसान को सावधान रहने की सीख दी गई है, जो घर में घटते दिखाई दे तो परिवार के हित व रक्षा के लिए हर गृहस्थ को चौकन्ना होकर वक्त रहते जरूरी कदम उठाना चाहिए। जानिए ऐसी ही 6 बातें, लिखा गया है कि -

कुले कलङ्क: कवले कदन्नता सुत: कुबुद्धि: र्भवने दरिद्रता।

रुज: शरीरे कलहप्रिया प्रिया गृहागमे दुर्गतय: षडेते।।

इस श्लोक में सरल शब्दों में घर-गृहस्थी को बदहाल करने वाली 6 बातों की ओर संकेत हैं -

- अगर परिवार या कुल पर कलंक लगाने वाली कोई बात पैदा हो,

- घर में अशुद्ध या अपवित्र भोजन हो,

- घर में दरिद्रता यानी तंगहाली, आलस्य या पैसों का अभाव हो,

- बुद्धिदोष से पुत्र गलत संगत और आचरण करने लगे,

- स्वयं या परिजन बीमारियों से घिरने लगे,

- पत्नी स्वाभाविक कारणों या मनमुटाव से कलह करने लगे।

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