इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम इमाम हुसैन की याद दिलाता है। इमाम हुसैन ने खुदा की राह पर चलते हुए बुराई के खिलाफ कर्बला की लड़ाई लड़ी थी, जिसमें इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ शहीद हुए थे। इस लड़ाई की सबसे पहला शहीद था इमाम हुसैन का छ: माह का बेटा अली असगर।
जब याजीदी फौज ने कर्बला की बस्ती के पास बहने वाली फुरात नदी के पानी पर पहरा लगा दिया गया तो इमाम हुसैन के साथियों तथा परिवार का पानी के बिना बुरा हाल हो गया लेकिन नेकी की राह से नहीं हटे। इमाम हुसैन के 6 माह के बेटे अली असगऱ का जब प्यास से बुरा हाल हो गया तब अली असगऱ की मां सय्यदा रबाब ने इमाम से कहा की इसकी तो किसी से कोई दुश्मनी नहीं है शायद इसको पानी मिल जाए। जब इमाम हुसैन बच्चे को लेकर निकले और याजीदी फौज से कहा की कम से कम इसको तो पानी पिला दो।
इसके जवाब में याजीद के फौजी हरमला ने इस 6 माह के बच्चे के गले का निशाना लगा कर ऐसा तीर मारा कि हजऱत अली असगऱ के हलक को चीरता हुआ इमाम हुसैन के बाज़ू में जा लगा। बच्चे ने बाप के हाथ पर तड़प कर अपनी जान दे दी। इमाम हुसैन के काफिले का यह सबसे नन्हा व पहला शहीद था।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 दिसंबर 2011
क्या आप जानते हैं, कर्बला का पहला शहीद कौन था?
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