लंबी बीमारी के बाद रविवार को बहन का निधन हुआ तो परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि बेटी का अंतिम संस्कार कर सके। कही से जानकारी मिली की केशवपुरा मुक्तिधाम जाओ। यहां एक संस्था की तरफ से निशुल्क लकड़ी मिल जाएगी।
बच्चा पड़ोसियों के साथ बहन को लेकर यहां पहुंचा तो एक समाजसेवी संस्था के शराबी कर्मचारी ने पैसे के लिए हाथ फैला दिए। बोला- पैसा दोगे तभी लकड़ी दूंगा। बच्चे के साथ आए व्यवस्कों ने हंगामा कर दिया, मारपीट तक नौबत आई और फिर मिले कुछ भले लोग। तत्काल चंदा हुआ और लकड़ी मंगाई गई। शुरू हुआ दाहसंस्कार।
जब बच्चा चिता को अग्नि दे रहा था तब करीब 3 घंटे हो चुके थे। उसकी आंखें बरस पड़ी। करीब 3 घंटे के वाकये को अभी कम उम्र की वजह से भले ही बच्चा नहीं समझ पाए, लेकिन उसके चेहरे के भाव सवाल छोड़ गए हैं कि क्या मुक्तिधाम तक में ऐसा भ्रष्टाचार हो सकता है।
करण अपनी मां विमलेश व बहन के साथ श्रीनाथपुरम में नानी कृष्णा कंवर के पास रहता था। उसकी 14 वर्षीय बहन मिथलेश को टीबी थी। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से इलाज भी ढंग से नहीं हो पाया। रविवार सुबह उसकी मौत हो गई।
बिलख पड़ा करण
लोगों के सहयोग से मिथलेश का अंतिम संस्कार किया गया, बालक करण मुखाग्नि देते समय बिलख पड़ा, यही हालत उसकी मां व नानी की थी, उन्हें देख वहां मौजूद अन्य लोगों की आंखें भी छलछला आई।
यहां क्यों आते
मृतका के परिजनों ने कहा कि यहां निशुल्क अंतिम संस्कार की जानकारी पर ही वे यहां आए थे, अन्यथा नए कोटा के ही श्मशान में अंतिम संस्कार कर देते।
मुझसे संपर्क नहीं किया
‘निर्धन को अंतिम संस्कार के लिए 4 क्विंटल लकड़ी व एक बोरी कंडे दिए जाते है। मुक्तिधाम की दीवार पर मेरे नंबर लिखे हैं, आज किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया। अगर कर्मचारी ने अभद्रता की है तो कार्रवाई की जाएगी।’
- राजाराम, अध्यक्ष कर्मयोगी संस्थान
दान देने वालों ने भी बताया गलत
व्यवसायी दीपक राजवंशी ने बताया कि हम पांच लोग पदम जैन के नेतृत्व में कर्मयोगी संस्था को हर माह 12 हजार रुपए निर्धनों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था के लिए देते हैं। केशवपुरा मुक्तिधाम पर रविवार को जो कुछ हुआ, वह गलत था। इसके बारे में संस्था के पदाधिकारी से बात की जाएगी।
यूआईटी को जानकारी नहीं
किसी संस्था ने गरीबों को लकड़ी देने के नाम पर श्मशान पर कब्जा कर रखा है और लोगों से वहां अभद्रता की जाती है, इसकी जानकारी नहीं है। मैं अभी कोटा से बाहर हूं, लौटते ही इस बारे में जानकारी करके कार्रवाई करेंगे।
-आर.डी.मीणा, सचिव यूआईटी
8 साल के करण जैसे जरूरतमंदों की मदद के लिए कर्मयोगी सेवा संस्थान ने अच्छी पहल कर रखी है, लेकिन नीचे के कर्मचारी भ्रष्ट्राचार कर इसमे भी पैसा बना मांगते है।
भ्रष्टाचार ने कहाँ कहाँ जड़ें जमा रखी हैं?
जवाब देंहटाएंक्या लोकपाल के पास इस का इलाज होगा?