आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

21 दिसंबर 2011

कोटा सहित राजस्थान में मोबाइल रेडियेशन से लोगों की जान पर बन रही है सरकार को कोई चिंता नहीं ..भाई सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने चेताया

दोस्तों आज सुबह सवेरे जब ने फेसबुक पर अपडेट कर रहा था तब मेरे पुराने मित्र और समाज सेवक सक्रिय जागरूक नागरिक सुरेन्द्र गोयल विचित्र जी का संदेश मिला उन्होंने फोन पर बात की वोह इन दिनों कोटा में और पुरे राजस्थान सहित देश भर में मोबाइल टावरों की रेडियेशन और होने वाले नुकसानों से काफी चिंतित थे वोह चाहते थे के किसी भी तरह से कोटा और देश के नागरिकों को इस नुकसान से बचाया जाए... इसके लियें भाई सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने विभिन्न समाचार पत्रों के सम्पादक और चीफ रिपोर्टरों को भी सक्रिय करने का प्रयास किया दो दिन तक कोटा के बढ़े और छोटे अख़बारों में खूब खबरें छपीं लेकिन नतीजा सिफर रहा ...... किसी भी विभाग या जनप्रतिनिधियों के कान में कोई जून नहीं रेंगी ..... भाई सुरेन्द्र गोयल विचित्र जी ने विचित्र सवाल किया के इन परिस्थतियों में इसे रोका केसे जा सकता है मेने तपाक से जवाब दिया कोटा की अदालतों में तो कुछ नहीं हो सकता हाँ अगर हाईकोर्ट चाहे तो इस मामले में सरकार और विभागों को पाबन्द कर सकती है मुझे इस मामले में कुछ पुराने जनहित में पेश किये मामले याद आये जिनमे आबादी बस्ती में तो मोबाईल टावर लगने पर स्थगन आदेश न्यायालय ने दिए थे लेकिन फिर श्याम टेलीलिंक कम्पनी को राजस्थान सरकार ने बिना किसी निगम और निकाय की अनुमति के टावर लगाने की छुट दे डाली थी इस मामले में सरकार ने परिपत्र भी जारी किये हैं जो सरकार के रिकोर्ड में हैं .............. खेर एक अफसोसनाक बात यह है के सभी प्रयासों के बाद भी देश ..प्रदेश और कोटा में आज आम जनता तिल तिल कर मर रही है लेकिन नेता, मंत्री और सरकार को इस मामले में कोई लेना देना नहीं है दोस्तों इसमें कानून क्या कहता है और सरकार को क्या जिम्मेदारियां निभाना चाहिए इस पर चिन्तन मंथन कर मेने यह पोस्ट लिखने का दुस्साहस किया है ..... उनतीस अप्रेल २०११ को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेलुलर ऑपरेटरों की एक याचिका की सुनवाई के बाद विस्तर्त आदेश जारी करते हुए कहा था के दिल्ली नगर निगम कानून ..विधि नियमों और टेलीग्राफ कानून में मोबाइल टावर लगाने के मामले में संशोधन किया जाना चाहिए लेकिन सुरक्षात्मक द्रष्टि से मोबाइल टावर दिल्ली नगर निगम भवन निर्माण नियमों से ही पाबन्द रहेंगे और वोह सुरक्षात्मक तरीके से पूर्व स्वीक्रति प्राप्त कर टावर लगा सकेंगे .....इसके बाद उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत एक जनहित याचिका काअध्ययन किया जिसमे प्रस्तुत जनहित याचिया में मोबाइल टावरों से लोगों को बचाने की अपील की गयी थी ....विशेषज्ञों का इस मामले में कहना है के इन टावरों से जो रेडियेशन फेलता है उसे केंसर ..नियोरोजिक्ल प्रोब्लम..इलेक्तरोमेग्नेतिक रेडियेशन से सांस और दिल की बिमारियों के अलावा स्किन बीमारी ..चिडचिडापन ..बाल्स्फेद होना लकवा ग्रस्त होना जेसी गंभीर बीमारियाँ होती है नपुंसकता तो होती ही है यहा तक कहा गया के टावर के आसपास इलाके में चिड़ियों वगेरा के अंडे तक फुट जाते हैं और उनकी प्रजनन क्रिया भी प्रभावित होती है ..... अनेक विशेषज्ञों की सिफारिश पर सबसे पहले हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस मामले में नियमावली बनाई और दिल्ली प्रदूषण पर्यावरण समिति ने टावर वालों के खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण कानून १९८६, एयर एक्ट १९८१ , नोइस रूल्स २००० के तहत कार्यवाही की जाए और सभी को नोटिस भी जारी किये गये ....हिमाचल सहित कई राज्यों में बने टावर लगाने की नियमावली में साफ़ तोर पर लिखा गया है के सर्वप्रथम तो ऐसे मोबाइल टावर जंगल की जमीन में बस्ती से दूर दराज़ इलाकों में लगाये जाए ॥ सम्बन्धित नगर पालिका निकाय पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी हो पुख्ता और मजबूत स्ट्रेक्चर हो इसके लियें एक इंजीनियर का सुरक्षा प्रमाण पत्र भी लिया जाना चाहिए ...टावर कितना ऊँचा होगा जन्त्रेत्र कोनसा लगा होगा ..आवाज़ कितनी करेगा और प्रदूषण नियन्त्रण विभाग का अनापत्ति प्रमाण्पत्र भी होगा ..नियमावली में लिखा गया है के चिकित्सालय और स्कूलों के आस पास टावर नहीं होंगे जबकि बस्तियों में अगर टावर लगाना हो तो पार्कों में आसपास के मकान वालों से अनुमति लेकर ही लगेगा जाएगा इतना ही नहीं छतों पर टावर लगाने पर पाबंदी रखी गयी है एयरोनोटिक एक्ट के तहत हवाई सी प्रभावित नहीं हो रेडियेशन और नोइस कंट्रोल नहीं हो इसके आलावा यह भी पाबंदी है के बस्ती और मकानों से सो मीटर की परिधि में कोई भी टावर नहीं लगाया जाएगा ..हिमाचल में आज भी इस नियम की पलना है लेकिन हमारा राजस्थान जो मोबाइल कम्पनियों का गुलाम है यहाँ प्रदूषण प्र्यव्रार इंसानों के स्वस्थ की बात तो दूर नगरपालिका और पंचायत कानून सहित सभी सुरक्षात्मक कानून ताक में रख कर खुले रूप से केवल टेक्स और शुल्क वसूलने के लियें मोबाइल टावरों की विधि और नियमों के विपरीत उछ न्यायलय के दिशा निर्देशों के खिलाफ टावर लगवाये गये हैं और आगे भी लगाये जा रहे है ताज्जुब तो इस बात का है के इस मामले में कोंग्रेस ..भाजपा या किसी और जनप्रतिनिधि ने कोई गम्भीर कदम नहीं उठाया है ........... दोस्तों इससे सम्बन्धित पुरानी पोस्टे मेरी जो लिखी गयी हैं उसमे विस्तर्त ब्यौरा अंकित है अगर चाहें तो उन्हें भी मेरे ब्लॉग अख्तर खान अकेला पर पढ़ी जा सकती हैं जो www.akhtarkhanakela.blogspot.com पर है ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...