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29 दिसंबर 2011

आसमान पर थूकने वाले लोगों का थूक उनके मुंह पर ही आन गिरा ...बेईमान सांसदों को जनता से धोखे के लियें दंड कोन देगा ..अन्ना अपने आस्तीन के साँपों को मारे

संसद के अंदर और संसद के बाहर अन्ना की आलोचना करने वाले सत्ताधारी लोगों के चेहरे पर कल लोकपाल के बहुत का जो तमाचा पढ़ा है उससे वोह सभी हमेशां के लियें लडखडा गए हैं और अब उनका राजनीति में सम्भाल पाना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन लग रहा है जो गलती अन्ना के खिलाफ सत्ता पक्ष ने की वही गलती अन्ना ने आखरी लम्हों में कुछ अपनों के हाथों गुमराह होकर सत्ता के खिलाफ घुटने टेक कर की लेकिन फिर भी अन्ना तो हीरो थे और हार कर भी हीरो बन कर उभरे है सरकार के पास तो अब सम्भलने का वक्त नहीं लेकिन अन्ना के पास अभी सम्भलने का बहुत वक्त है अगर वोह ज़िम्मेदारी से सम्भले तो एक बार फिर वोह २०१२ के जनता हीरो साबित होंगे .......... दोस्तों आप सभी जानते है के देश में लोकपाल के नाम पर कोंग्रेस हो चाहे भाजपा हो सभी दलों ने नोटंकी की है और खासकर कोंग्रेस और सहयोगी दलों की नोटंकी तो देश को कभी माफ़ नहीं करना चाहिए .सब जानते हैं के अन्ना के आन्दोलन के बाद कथित ठंडे बसते में पढ़े लोकपाल बिल से धूल छंटी कमजोर लोकपाल बिल को और कमजोर बनाया गया अन्ना और समर्थकों ने वकीलों ने इसका जब विरोध किया तो कोंग्रेस और समर्थित दलों ने सभी का मजाक उढ़ाया ..अन्ना और समर्थकों को डराया धमकाया और यहाँ तक के उन पर हमले करवाने की साजिशें तक रचीं अन्ना के खिलाफ जनता को भडकाया गया उनकी टीम में फुट डाली गयी और आखिर आखरी लम्हों में जब लोकसभा में लंगडा और कमजोर लोकपाल बिल पेश हुआ तो अन्ना ने हुनकर भरी लेकिन उन्हें उनके समर्थकों ने कोंग्रेस से इन्टरनल पेक्ट कर दिल्ली से महाराष्ट्र भेज दिया उनकी दलील थी दिल्ली में ठंड है अन्ना नहीं माने तो अन्ना को समझाया गया के आपका और आपके लोकपाल का शिवसेना खुला विरोध कर रही है इसलियें अगर महाराष्ट्र मुंबई शिवसेना के गढ़ में यह अनशन होगा तो देश देखेगा और सरकार पर दबाव बढ़ेगा लेकिन सब बेकार लोकसभा में बिल पेश हुआ अन्ना अनशन पर बेठे बीमार हुए भीड़ जमा नहीं हुई और लोकसभा में कोग्न्रेस के सांसदों के नहीं पहुंचने पर भी यह बिल सपा और बसपा के सांसदों के वाक् आउट के बाद पारित कर दिया गया अन्ना घबरा गये उनके समर्थक जो पहले से ही कोंग्रेस से मेच फिक्सिंग कर चुके थे फिर अन्ना को अनशन तोड़ने और जेल भरो आन्दोलन खत्म करने का एलान करवाने में कामयाब हुए बस यहीं अन्ना से चुक हो गयी उन्होंने अपने आस्तीन में पलने वाले साँपों को नहीं पहचाना और वोह खुद जो शेर कहलाते थे सरकार के सामने मेमने से नज़र आने लगे निराश हताश अन्ना घबरा गये थे लेकिन कहते हैं के जनहित में लोकहित में इश्वर खुदा अल्लाह का नाम लेकर अगर कोई काम किया जाए तो गेब से उसमे खुदा मदद करता है यहाँ भी यही सब हुआ ..हरे थके अन्ना रालेगन पहुंच कर हताशा और निराशा के दोर में थे वोह असमंजस में चल रहे थे लेकिन अचानक कोंग्रेस और सत्ता पक्ष का सुख भोग रहे साथी दलों के दिल और दिमाग में खुदा आने कोंग्रेस को पांच राज्यों के चुनाव की राजनीती के तहत पटखनी देने की बात डाल दी ...दोस्तों कितनी अजीब बात है के जो तुन मूल ..जो राष्ट्रीय जनता दल ..जो सपा जो भाजपा इस सरकारी लोकपाल को लोकसभा में पारित करवाने में मदद गार थे वही लोग सोदेबाज़ी फेल हो जाने पर राज्यसभा में बदल गये एक ही दल का लोकसभा और राज्यसभा में अलग अलग चेहरे नज़र आया तुन्मुल और लालू दल सरकार के और लोकपाल के खिलाफ सरकार का ब्लड प्रेशर हाई था दिन भर सभी कोंग्रेसी नेताओं का ब्लड प्रेशर बढ़ा रहा और खुद कोंग्रेस अपने ही आस्तीन में पलने वाले साँपों के हाथों ढ्सी गयी करोड़ों करोड़ रूपये इस बिल के पारित होने में सांसदों के भत्तों पर खर्च हुए अन्ना के आन्दोलन में खर्च हुए और नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ...जरा सोचो अगर अन्ना का अनशन जारी रहता अगर जेल भरो आन्दोलन की तय्यारी रहती तो आज अन्ना को जो लोग रणछोड़ दास मेच फिक्सिंग का आरोपी समझ रहे है वोह नहीं समझा जाता .खेर कहावत है के आसमान पर थूकने वाले का थूक उसी के मुंह पर आकर गिरता है और सत्ता पक्ष उनके समर्थित दलों का थूक उन्हीं के मुंह पर आन गिरा लालू ने बिहार में कोंग्रेस के कारण अपनी हर का बदला ले लिया तो बसपा और सपा ने एक बार फिर उत्तरप्रदेश में अपनी रणनीति पक्की कर ली ...नुकसान हुआ तो कोंग्रेस को और अन्ना की छवि को कोंग्रेस के पास तो अब सम्भलने का वक्त नहीं है लेकिन अन्ना के पास अभी वक्त ही वक्त है अन्ना को अब फिर एक बार खुद की टीम का शुद्धिकरण करना होगा आस्तीन के साँपों को खत्म करना होगा और फिर जो कहा है वोह करके दिखने के लियें आगामी चुनावों में लोकपाल के मामले में सभी राजनितिक दलों को पटखनी देने के लीयें साफ छवि वाले निर्दलीय प्र्त्याक्षियो को आगामी चुनाव में खड़ा कर जरा कुछ ऐसा कर दिखाना होगा के देश को पता लग जाये के यहाँ लोकतंत्र है यहाँ संसद में जीत कर जाने वाले लोग गुंडा गर्दी के बल पर अगर जनता की भावनाओं को नज़र अंदाज़ कर मनमानी करना चाहते हैं तो जनता उन्हें सबक सिखाना चाहती है हमे बताना होगा के यह मेरा भारत महान है यहाँ जनता जनार्दन थी ..जनार्दन है और जनार्दन रहेगी जय भारत जय जवान जय किसान जय हिंदुस्तान ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  2. आपको नव-वर्ष २०१२ की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  3. हा हा हा , अण्णा की वजह से फिर भी बहुत कुछ हो गया है।
    थोड़ी एकरसता सी भी ख़त्म हो गई है मीडिया से।
    वर्ना कुछ होना हुआना था ही नहीं अण्णा से या किसी भी आंदोलन से।
    देश ओवरहालिंग मांग रहा है। ऐसे में पैबंद से काम चलने वाला नहीं है और यहां तो लोग पैबंद के लिए भी तैयार नहीं हैं।

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