सवाई जयसिंह की ओर से यह 1726 में बनवाया गया था। किला देखने में भले अलग नजर आए,लेकिन इसे आमेर किले का हिस्सा माना जाता हैं। विश्व की सबसे बढ़ी तोप जय बाण किले के डूंगर दरवाजे पर रखी है। तोप की नली से लेकर अंतिम छोर की लंबाई 31 फीट 3 इंच है।
इस तोप से एक बार गोला दागा गया,जो कि शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर जाकर गिरा था। गोला दागने में 100 किलो बारूद लगी जिसके गोले का वजन तकरीबन 50 किलो था। आपातकाल के दौरान तत्कालीन केन्द्र सरकार ने खजाना होने की संभावना को देखते हुए खुदाई करवाई।
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