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23 दिसंबर 2011

इन महाशय को नहीं मिला 'दातून' तो जिद में खड़ा कर दिया जंगल

हिसार. कर्नाटक के कपोतगिरी मठ के स्वामी शिवकुमार अन्य बाबाओं से काफी अलग हैं। यह ऊं नम: शिवाय की जगह ऊं नम: जलाय का मंत्र तो अपने शिष्यों को देते हैं, साथ ही प्रकृति के बड़े उपासक हैं। महज एक दातून न मिली तो जंगल ही खड़ा कर दिया। बात 2003 की है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा से सटे गंडग जिले में करीब 60 किलोमीटर कपोतगिरी पहाड़ियों के समूह पर बने नंदीवर मठ का उन्हें प्रमुख बनाया गया।

मठ पहुंचने के बाद जब सुबह स्वामी नीम की दातून तलाश करने लगे तो उन्हें दातून ही नहीं मिली। बस फिर क्या था नीम और औषधीय पौधों के वृक्षारोपण का ऐसा अभियान चलाया कि आज पूरी पहाड़ी पर जंगल है। जो इलाका शहरीकरण की भेंट चढ़ गया था, इस समय प्रकृति की विविध नजारे हैं। स्वामी शिवकुमार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के दो दिवसीय किसान वैज्ञानिक सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं।

स्वामी शिव कुमार बताते हैं कि उन्होंने 13 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। इसके बाद वह युवाओं को राष्ट्र के लिए तैयार करने में लग गए। वह मठ के स्वामी बनने से पहले युवाओं का सात्विक व्यक्तित्व विकास कराते थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक प्रोग्राम भी बना रखा था। इसके अलावा शुरू से ही युवाओं के माध्यम से जल संग्रहण अभियान चलाते रहे, जो अभी भी जारी है।

नंदीवर मठ सेवा फाउंडेशन की तरफ से इलाके में 40 चेक डैम, मृदा क्षरण रोकने के लिए 80 हजार स्लोप्स और 25 हजार गड्ढे सहित पांच लाख पौधे लगाए गए हैं। इनमें नीम, तपसी, बेल, टमरनीड, बांस सहित आदि शामिल हैं। स्वामी को कपोतगिरी इलाके की जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी बदलने के लिए जेनोम सेवियर समुदाय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं कर्नाटक सरकार ने चीन में हुए प्रोग्रेसिव फार्मिग एंड एन्वायरमेंटल स्टडी पर हुए सेमिनार में भी इन्हें भेजा था।

55 औषधीय पौधे, 210 लुप्त प्राय : किस्मों का संग्रहण

स्वामी शिवकुमार ने औषधीय पौधों में दिलचस्पी दिखाते हुए 55 औषधीय पौधों की 210 लुप्त प्राय: किस्मों का संग्रहण किया है। इसमें चिकनगुनिया से लेकर शुगर तक को मात देने वाली पौधे शामिल हैं। इसमें भूनिंबा है जो चिकनगुनिया से राहत देती है तो अमृत बेल है जो दिल रोग से बचाती है। मधुनशानी नाम के पौधे भी इनके पास उपलब्ध है जो मस्तिष्क के विकारों में दवा के रूप में इस्तेमाल होता है।

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