जोड़ों में दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं जाड़े के मौसम में जैसे-जैसे तापमान में कमी होती है, किसी जोड़ विशेष में रक्त वाहिनियों के संकुचित होने से उस हिस्से में रक्त का तापमान कम हो जाता है जिससे जोड़ में अकड़ाहट बढ़ती है तथा दर्द होने लगता है।
जबकि कई बार रक्त धमनियों की दीवार के तनाव में कमी आती है, जिस कारण धमनियां फैल जाती हैं तथा दर्द और सूजन बढ़ जाते हैं। इसके अलावा सर्दियों में बढ़ी हुई हयूमिडिटी के कारण तंत्रिकाओं में संवेदना की क्षमता निश्चित रूप से बढ़ जाती है।
जिससे जोड़ों में दर्द अधिक महसूस होता है जबकि गर्मियों में इसके उल्टे सिद्धान्त के कारण दर्द कम महसूस होता है। अगर आपको भी ठंड में जोड़ों का दर्द सता रहा है तो नीचे लिखे आसन को रोज कुछ मिनट करें शीघ्र ही जोड़ों के दर्द हो जाएगा ठीक।
गृद्धासन की विधि
- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर जमीन पर सीधा खड़े हो जाएं।
- फिर दाएं पैर को घुटनें से मोड़कर बाएं पैर में रस्सी की तरह लपेटकर खड़े हो जाएं तथा पूरे शरीर का भार एक पैर पर डालें।
- इस तरह दोनों हाथों को भी आपस में इस तरह से लपेटे की अंगुलियां गिद्ध की चोंच की तरह बन जाएं।
- हाथों को मुंह के सामने रखें।
- आसन की इस स्थिति में कुछ देर तक रहें और सामान्य स्थिति में आकर इस क्रिया को दूसरे पैरों से भी करें
- इसमें घुटनों को हमेशा मुड़े हुए रखें। इस आसन का अभ्यास शुरु में कठिन होता है।
- इस आसन को शुरु में करते समय किसी दूसरे की सहायता ले सकते हैं। बाद में बिना किसी की सहायता से ही करें। इस आसन में शरीर का पूर्ण भार एक पैर पर ही टिका होता है। इसमें शरीर का संतुलन बनाना आवश्यक है।
आसन से रोगों में लाभ
इससे पिण्डलियों की मांसपेशियां विकसित व सख्त बनती है। इस से पैरों व हाथों की हड्डियां मजबूत होती है तथा रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। यह हाथ-पैरों को विकसित एवं पुष्ट करता है। यह गठिया तथा पुरानी वातरोग, साइटिका पेन को ठीक करता हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2011
सर्दी में जोड़ों के दर्द को कहें अलविदा सिर्फ चंद मिनटों में
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