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26 दिसंबर 2011

आपके फोन, ई-मेल पर नजर रखने के लिए 800 करोड़ खर्च करेगी सरकार!

नई दिल्ली. अगले पांच साल में सरकार को फोन, ई मेल और एसएमएस-एमएमएस की निगरानी के लिए 800 करोड़ रुपए का तंत्र स्थापित करने की सलाह देते हुए एक उच्चस्तरीय समिति ने कहा है कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर समझौता नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही इस समिति ने अपनी रपट में कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र के माध्यम से उपकरणों के सहारे देश की सुरक्षा को संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए अगली पंचवर्षीय योजना काल में 100 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित टेलीकॉम टेस्टिंग एंड सिक्यूरिटी सर्टिफिकेशन सेंटर स्थापित करना भी आवश्यक है।

‘रिपोर्ट ऑफ द वर्किंग ग्रुप ऑन द टेलीकॉम सेक्टर फॉर द ट्वेल्थ फाइव ईयर प्लान (2012-17)’ में दूरसंचार नेटवर्क और देश की सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा गया है कि सरकारी संचार के लिए भी एक ऐसा सुरक्षित तंत्र बनाने की जरूरत है, जो चूक रहित हो। केंद्रीय दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर की अध्यक्षता में गठित हुए इस वर्किंग ग्रुप ने सरकारी तंत्र के बीच होने वाले संवाद को सुरक्षित बनाने के लिए विशेष व्यवस्था करने की सलाह देते हुए इस पर 450 करोड़ रुपए खर्च करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि इससे देश व्यापी ऐसा तंत्र बनाया जाए जिससे सरकारी सेवा के लिए उपयोग किए जाने वाले ई-मेल, वीओआईपी और मोबाइल कम्युनिकेशन पूरी तरह सुरक्षित हो।

आपदा के लिए हर ऑपरेटर उपलब्ध कराए 100 लाइन

समिति ने अपनी रपट में आपदा के समय बाधा रहित संचार तंत्र उपलब्ध कराने के लिए हर ऑपरेटर को आपदा में लगी एजेंसी को न्यूनतम 100 मोबाइल-लैंड लाइन उपलब्ध कराने की वकालत की है। समिति ने कहा है कि इनमें हॉट लाइन भी हो और यह गारंटी हो कि आपदा के समय यह लाइन काम करेगी। समिति ने यह भी कहा है कि ऐसी इंडोर तकनीक विकसित करनी चाहिए जिससे आपदा के समय किसी भवन या परिसर के अंदर कार्य करने वाले हर कर्मी की तैनाती-पोजिशनिंग (तैनाती का स्थान) कुछ सेंटीमीटर से भी पहचानी जा सके। समिति ने दूरसंचार मंत्रालय के अंदर भी आपदा के लिए कर्मियों को तैनात करने की सलाह दी है।

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