मलमास और अपने क्रोधी नामक संवत्सर में आने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता हैं। 24 नवंबर को सुबह सूर्योदय से शनि अमावस्या प्रारंभ होगी, जो रात्रि 11.40 बजे तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पं. अमित शास्त्री के अनुसार इससे पूर्व वर्ष 1954 में ऐसा हुआ था, जब अपने नक्षत्र और उच्च राशि तुला में शनि अमावस्या आई हो। इस बार मूल नक्षत्र केतु का काल 24 दिसंबर को सुबह 9.19 बजे ज्येष्ठा नक्षत्र का उपरांत प्रारंभ होगा।
संयोग ऐसे भी
: पंचागों के अनुसार अभी क्रोधी नाम का संवत्सर चल रहा है। इसके स्वामी शनिदेव हैं।
:3 साल पहले वर्ष 2008 में मलमास में शनि अमावस्या आई थी। अगले वर्ष 2012 में एक बार अप्रैल में शनि अमावस्या आएगी।
राशि- प्रभाव - उपचार
मेष - दुर्घटना, यश हानि - शनि का तेलाभिषेक
वृष - आकस्मिक लाभ - लोहे की वस्तुदान
मिथुन - रोग व शत्रु पीड़ा - उड़द की वस्तुदान
कर्क - कर्ज से मुक्ति - शनि का तेलाभिषेक
सिंह - पारिवारिक कलह - बंदरों को गुड़ एवं चने
कन्या - धनलाभ, विदेशयात्रा - लोहे की वस्तुदान
तुला - मान-सम्मान में वृद्धि - उड़द की वस्तुदान
वृश्चिक - मानसिक क्लेश - लोहा एवं तेलदान
धनु - स्थान परिवर्तन, विदेश यात्रा- काले वस्त्रदान
मकर - आर्थिक लाभ, समृद्धि - शनि यंत्र की पूजन
कुंभ - राज पद की प्राप्ति - पानी में कोयला प्रवाह
मीन - कार्य सिद्धि - तेल, तिल व गुड़ का दान
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