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10 दिसंबर 2011

सुख-दुखः का साक्षी बना 145 साल का यह अनोखा 'हाल'

नई दिल्ली. टाउन हाल दिल्ली के अनेक ऐतिहासिक पलों को अपने में समेटे हुए है। करीब 145 साल पहले राजधानी के स्थानीय निकाय के रूप में इसको विकसित किया गया था। आज इसको ऐतिहासिक धरोहर बनकर इसके विकल्प के रूप में डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर को विकसित किया जा चुका है।

एमसीडी का इतिहास केन्द्र व दिल्ली सरकार से भी पुराना है और अपने लंबे इतिहास में इसने कई बार उथल-पुथल देखी है। टाउन हाल के गठन के समय जनता से जुड़े लगभग सभी विभाग इसके तहत आते थे।

वर्ष 1881 में इसमें 21 सदस्य थे। 1912 में सदस्यों की संख्या 25 हुई, जो कि 21 में बढ़कर 36 हो गई। आजादी के बाद वर्ष 1951 में सदस्यों की संख्या 63 हो गई, लेकिन समय के करवट लेने और दिल्ली की जनसंख्या बढ़ने के साथ ही सदस्यों की संख्या भी सैकड़ा पार कर गई। वर्तमान में एमसीडी में सदस्यों की संख्या 272 हो गई।

एक लाख 86 हजार में बना टाउन हाल

वर्ष 1866 में टाउन हाल का निर्माण लगभग एक लाख 86 हजार रुपए में हुआ था। पहले इसे इंस्टीट्यूट बिल्डिंग कहा जाता था। 1864 से 1869 के बीच घंटाघर का निर्माण किया गया। इसके निर्माण पर महज 22134 रुपए खर्च किए गए थे।

600करोड़ है सिविक सेंटर की लागत

टाउन हाल के अत्यधिक पुराना होने के बाद इस साल निगम का मुख्यालय सिविक सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया। लगभग 600 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित 28 मंजिला सिविक सेंटर पूरी तरह से एयर कंडिशनयुक्त है।

इमारत का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट के आधार पर किया गया है। यहां पर सौर ऊर्जा व्यवस्था के अलावा रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीवरेज ट्रीटमेंट सिस्टम सहित अनेक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। इमारत में लगभग 300 निगम पार्षदों के बैठने के लिए संसद की तर्ज पर एक बड़े हाल का निर्माण भी किया गया है। इमारत के ऊपरी तल से पूरी राजधानी का दीदार किया जा सकता है।

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