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17 नवंबर 2011

गांधीगिरी की मिशाल, बापू के भजन से होती है दफ्तर की शुरुआत

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रायपुर। राजधानी में एक दफ्तर ऐसा है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने की कोशिश कर रहा है। यहां के अधिकारी-कर्मचारी अपने दिन की शुरूआत बापू के प्रिय भजन-वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर परायी जाणे रे से करते हैं।

अनुपम नगर स्थित रजिस्ट्रार फम्र्स एंड सोसायटीज के इस दफ्तर में सुबह ठीक 10.20 बजे पूरा स्टाफ पहुंच जाता है। सभी रजिस्ट्रार संजीव बख्शी के चैंबर में जमा होते हैं। बख्शी समेत सभी लोग एक-एक कर गांधी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हैं। इसके बाद गूंजने लगता है बापू का भजन।

कर्मचारी हाथ जोड़े भक्ति में लीन हो जाते हैं। भजन के बाद शुरू होती है सकारात्मक चर्चा। दिलचस्प यह है कि कभी-कभी पड़ोसी भी इसमें शामिल होते हैं। दफ्तर में आने वाला फरियादी, पड़ोसी या किसी स्टाफ का परिचित यदि इस दौरान मौजूद रहता है तो उसे उस दिन का अतिथि बनाया जाता है। चर्चा स्टाफ के परिवार के सुख-दुख, खेत-खलिहान, गांवों की अच्छाइयों से लेकर जनहित की बातों और समाज के सुधार के मुद्दे पर होती है। कार्यालय के सभी कमरों में गांधी जी के नीति वाक्य जैसे-‘आत्मा का आहार प्रार्थना’ लगे हैं।

यह सिलसिला 8 अगस्त 2010 से चल रहा है। अतिथि के रूप में विधायक डमरूधर पुजारी, साहित्यकार विनोद शंकर शुक्ल, सतीश जायसवाल, डॉ. तपेश गुप्ता, नरेश गुप्ता, हरिभाई जोशी आदि शामिल हो चुके हैं। डिप्टी पंजीयक डी.डी. महंत कहते हैं कि डिवोशन के समय बड़े-छोटे का भेद नहीं रहता।

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