हर साल यहां ५ से १क् लाख के अवैध हथियारों की बिक्री आसानी से हो जाती है। चूंकि यह इलाका नक्सल प्रभावित है, इस कारण इसे काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में हथियारों की यह बिक्री प्रशासन के लिए चिंता का विषय भी बना हुआ है। पांच लोगों से हथियार बरामद भी किए गए हैं।
इस मेले में भाग लेने के लिए जिले से भी बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचते हैं। वापस आते समय वहां से अपने साथ कई हथियार भी साथ में लेकर आते हंै। शुक्रवार की सुबह ४.३क् बजे बालाछापर एवं बोकी चौक में मेले से आने वाले लोगों की चेकिंग की गई। इस दौरान वाहीद खान पिता सफीक खान निवासी सामरीपाठ सरगुजा, कृष्णा पिता चंदू निवासी रजला,अनुज पिता मगनाथ निवासी अलोरी,इंद्रकुमार पिता चैला राम निवासी कंडोरा एवं रितभजन सिंह पिता करमपाल के पास से दो तलवार, दो गुप्ती एवं १ बटन चाकू बरामद किया। उन्हें आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार किया गया।
पुलिस की नाक के नीचे कारोबार
इस मेले में झारखण्ड, बिहार, ओड़िसा के लोग पंहुचते हैं। मेले में झारखण्ड पुलिस मौजूद रहती है पर उन्हें भनक तक नहीं लगती कि यहां मेले में लाखों के हथियारों का कारोबार हो रहा है। पड़ोसी राज्य मे लगने वाले मेले में वहां की पुलिस पंहुचती है लेकिन घनघोर जंगल के अंदर लगने वाले मेले के रास्ते में हथियारों के सौदागर इस मेले में आने वाले लोगों को गुपचुप तरीके से लाखों का हथियार बेच जाते है।
धर्म के नाम पर खरीदी
कुछ लोगों का मानना है कि इसे धर्म और पूजा-पाठ के नाम पर खरीदा-बेचा जाता है। लेकिन चिंता इस बात को लेकर रहती है कि इसका कोई प्रामाणिक मूल्यांकन किया जा सकता है कि किसने कितना हथियार खरीदा। चूंकि यह आपराधिक गढ़ भी माना जाता है, इस कारण संशय की स्थिति बनी रहती है। इस क्षेत्र में लूटपाट की घटनाएं भी अक्सर होती रहती है। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे ही हथियारों का उपयोग इन घटनाओं में किया जा सकता है।
क्षेत्र में होने वाली बड़ी वारदातों में देसी कट्टा, तलवार, खुखरी जैसे हथियारों का ही प्रयोग होता है। अब तक की घटनाओं में ऐसे ही हथियार जब्त होते रहे हैं। हर वर्ष पड़ोसी राज्य के मेले से लोग हथियार लेकर आते हैं।
गोपाल वैश्य,थाना प्रभारी सिटी कोतवाली जशपुर
यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन से तीन दिन तक चलता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। १९४४-४५ में भगवान बलभद्र, सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित की गई थी, जिसके बाद राजा निवास सिंह ने यहां कार्तिक मेला शुरू किया था। इसके बाद से अब तक कार्तिक पूर्णिमा पर यहां रात में मेला लगता है। दिन में मेला समाप्त हो जाता है।
॥चिंता का विषय है कि मेले में जाने वाले लोग खुलेआम हथियार लेकर जिले में पहुंच रहे हैं। पुलिस सतर्क है। पांच पाइंट लगाकर लगातार चेकिंग की जा रही है। अभी तक पांच लोगों से १क् हथियार मिले हैं, जिन पर कार्रवाई की गई है। मेले से आने वालों को कोई हथियार नहीं लाना चाहिए। पुलिस ने कड़ी नाकेबंदी की है। डॉ.संजीव शुक्ला, एसपी जशपुर
कैसे-कैसे हथियार
तलवार 1000 से 1500
फरसा 150 से 400
खुखरी 1000 से 1500
गुप्ती 550 से 600
चाकू 350 से 650
कट्टा 1000 से 5000
(आंकड़े रुपए में)
घना जंगल और नक्सल प्रभावित
यह झारखंड और छत्तीसगढ़ का सीमाई इलाका है। इसके अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। जिस स्थान पर मेला लगता है, उसके चारों ओर पहाड़ियां और घने जंगल हैं। इसके कारण पुलिस की टीमों को समन्वय की काफी परेशानी होती है।
कहां से आता है हथियार
ये हथियार झारखंड और बिहार के बार्डर इलाके चांदचाकी से यहां पहुंचते हैं। कट्टा बिहार के मुंगेर से यहां लाकर बेचा जाता है।
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