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09 नवंबर 2011

विश्व के 'सातवे आश्चर्य' की हैरतअंगेज कहानी सुन हैरान रह जाएंगे!

आगरा। यूपी के आगरा में स्थित जिस मक़बरे को ताज महल कहा जाता है, उसकी खूबसूरती के पीछे एक हैरतअंगेज कहानी छीपी है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण करवाने वाले शाहजहां ने ताजमहल के कारीगरों के हाथ काट कर यमुना नदी में फेंकवा दिया था। ताकी ताजमहल जैसी इमारत का दुबारा निर्माण ना हो सके। हालांकि इसके लिए पूर्ण साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। हम जानते हैं कि ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। यह वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामिक वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। ताजमहल की जमीन के बदले देना पड़ा था यह महल ताजमहल आगरा नगर के दक्षिण छोर पर एक छोटे भूमि पठार पर बनाया गया था। इसके बदले जयपुर के महाराजा जयसिंह को आगरा शहर के मध्य एक वृहत महल दिया था। इस क्षेत्र में पचास कुएं खोद कर कंकड़-पत्थरों से भरकर नींव स्थान बनाया गया। इन सामाग्रियों से बना विश्व का सातवां आश्चर्य ताजमहल को भारत सहित पूरे एशिया से लाई गई सामग्री से बनाया गया था। करीब एक हजार हाथी निर्माण के दौरान यातायात के लिए इस्तेमाल हुए थे। पराभासी श्वेत संगमर्मर को राजस्थान से लाया गया था, जैस्पर को पंजाब से, हरिताश्म या जेड एवं स्फटिक या क्रिस्टल को चीन से। तिब्बत से फीरोजा़, अफगानिस्तान से लैपिज़ लजू़ली, श्रीलंका से नीलम एवं अरबिया से इंद्रगोप या कार्नेलियन लाए गए थे। कुल मिला कर अठ्ठाइस प्रकार के बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न श्वेत संगमर्मर में जडे़ गए थे।

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