कोटा में आज महिलाएं अगर थाने में रिपोर्ट लिखाने जाएँ तो हीं लिखी जाती है अगर अदालत से मुकदमा दर्ज करने के आदेश भेजें तो अदालतों के आदेश के बाद भी पुलिस हफ्तों चक्कर काटने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं करती है और महिलाओं को प्रताड़ित भी करती है लेकिन हालात यह है के आज भी महिला राष्ट्रीय और राज्य आयोग द्वारा इस मामले में कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किये है और ना ही पुलिस कर्मियों को लताड़ पिलाई है ...............राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ बनाए गए कानून को सख्ती से लागू करने की जरूरत बताते हुए कहा कि महिलाओं को पुलिस से सर्वाधिक प्रताड़ित होना पड़ता है।
पुलिस थानों में महिलाओं की सुनवाई नहीं होती। उन्हें चक्कर लगवाए जाते हैं। केस दर्ज होने में ही दो से तीन माह लग जाते हैं।
वे शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से शुरू किए गए ‘महिला अधिकार अभियान’ के तहत आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी।
बसंत विहार स्थित अकलंक विद्यालय के ऑडिटोरियम में हाड़ौती उत्सव आयोजन समिति की ओर से रखी गई संगोष्ठी में ममता शर्मा ने अभियान की शुरुआत की। अभियान 23 नवंबर तक चलेगा और इसमें महिला जागरूकता को लेकर कई कार्यक्रम होंगे।
अभियान देश के चार राज्यों राजस्थान, पंजाब, उत्तरांचल और केरल में चलाया जाएगा। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में महिलाएं और प्रबुद्धजन मौजूद थे।
शर्मा ने कहा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर इस अभियान की शुरुआत की गई है। वे कोटा की बेटी हैं और बूंदी उनका ससुराल है, इसलिए उन्होंने अभियान की शुरुआत इन दोनों जगह से की है।
उन्होंने कहा कि महिला आयोग के गठन के 19 साल के इतिहास में पहली बार इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए कानून तो बहुत बने।
महिला सशक्तिकरण की बहुत बात की जाती है, लेकिन बुनियादी रूप से यह काम नहीं हो पाता। इसके लिए महिलाओं को जागरूक होना पड़ेगा। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हाड़ौती उत्सव समिति अध्यक्ष पूर्व शिक्षा मंत्री हरिकुमार औदिच्य, महामंत्री पंकज मेहता, महापौर डॉ. रत्ना जैन, आरके उपाध्याय, कल्पना शर्मा, शुचिता जैन, प्रीति जैन एवं राजेंद्र कुमार जैन ने भी विचार व्यक्त किए।
संचालन डॉ. एलके दाधीच ने किया। उद्धवदास मरचुनिया ने रचनात्मक सुझाव दिए।
‘पति ने निकाला, पुलिस सुनती नहीं’
संगोष्ठी में अपने ससुराल वालों से पीड़ित महिलाओं ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा को अपनी व्यथा-कथा सुनाते हुए कहा कि थाना-कचहरी के चक्कर लगाते-लगाते भी न्याय नहीं मिल पाता। कुछ महिलाओं का कहना था कि ससुराल वालों की ऊंची पहुंच होने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती। इन महिलाओं ने श्रीमती शर्मा को अर्जियां भी दी।
कोटा की आकाशवाणी कॉलोनी में रहने वाली बेनजीर खान का कहना था कि उनकी शादी अकरम बेग एडवोकेट से 1994 में हुई थी। वह जयपुर में वकालत करता है। उसे 30 जून को मारपीट कर घर से निकाल दिया।
बेटा 7वीं क्लास में पढ़ता है। वह आर्मी स्कूल में जॉब कर आजीविका चला रही है। पति के भाई की राजनीतिक पहुंच होने से कानूनी कार्रवाई नहीं होने देता।
केशवपुरा निवासी अरुणा वर्मा का कहना था कि उसका विवाह 12 दिसंबर 2006 को अजमेर निवासी पंकज गौड़ से हुआ था। पति सरकारी कॉलेज में लेक्चरर है तथा उसके पिता रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं।
तीन साल पूर्व उसे घर से निकाल दिया। वे लोग दहेज में कार नहीं देने पर नाराज थे। पति के पास लौटने के लिए उसने तीन साल इंतजार किया। इसके बाद कैथूनीपोल स्थित महिला पुलिस थाने में केस दर्ज कराया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। दहेज का पूरा सामान भी पुलिस ने बरामद नहीं किया।
mahilaon ki yatharth sthiti ko varnit karta aapka aalekh sarthak v samyik hai .sateek lekhan hetu badhai
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