शुद्धता और पवित्रता की प्रतीक गंगा पूरे देश में पूज्यनीय है। इस सदानीरा गंगा नदी का उद्गगम स्थान गंगोत्री है। इसी गंगोत्री के चारों ओर बर्फ की बड़े बड़े पहाड़ हैं। जो पूरे साल गंगा को जीवन देते हैं। यहां जाने वाले लोगों को एक खास चीज हमेशा से आकर्षित करती रही है। वह है 'ब्लू आइस'। नीले रंग इन बर्फों को देख हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है। आपको यह जानकर और हैरानी होगी कि यब नीली बर्फ सदियों से अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।
उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है गंगोत्री। यहां से 19 किलोमीटर दूर 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना तथा भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है। कहते हैं कि यहां के बर्फिले पानी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। 25 किलोमीटर लंबा, 4 किलोमीटर चौड़ा तथा लगभग 40 मीटर ऊंचा गौमुख अपने आप में एक परिपूर्ण माप है। इस गौमुख ग्लेशियर में भगीरथी एक छोटी गुफानुमा ढांचे से आती है।
पर्यावरण वैज्ञानिक तेजी पिघल रहे ग्लेशियर पर चिंता जता रहे हैं। बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम के कारण पवित्र गंगा का उद्गम गंगोत्री हिमखंड औसतन 7.3 मीटर प्रतिवर्ष सिकुड़ रहा है। उत्तराखंड में 30.2 किलोमीटर लम्बा गंगोत्री ग्लेशियर प्रतिवर्ष औसतन 7.3 मीटर सिकुड़ रहा है। हिमखंडों के पिघलने की इस रफ्तार से कुछ ही समय में कई नदियां मौसमी नदियां बन कर रह जाएंगी।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 नवंबर 2011
'रहस्मयी' है ये गंगा को जीवित रखने वाली 'ब्लू आइस'!
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