रामायण में चलते हैं। भगवान राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरु वशिष्ठ से सारी शिक्षा ली। वे राजकुमार तो थे ही, धनुर्विद्या के भी निपुण योद्धा थे। शक्ति भी थी और सामथ्र्य भी। पूरे राजसी ठाठ से जीवन गुजर रहा था। तभी एक दिन ऋषि विश्वामित्र आ पहुंचे। उन्होंने दशरथ से राम और लक्ष्मण मांग लिए।
रावण की राक्षस सेना का आतंक बढ़ रहा था और वे ऋषियों के हवन-यज्ञों को बंद करा रहे थे। राक्षसों के संहार के लिए विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को चुना। दशरथ पहले डरे लेकिन फिर गुरुओं की बात को मानकर राम-लक्ष्मण को उनके साथ भेज दिया।
राम शक्तिशाली राक्षसों का मारकर ऋषियों को भयमुक्त कर दिया। यहां राम का काम पूरा हो चुका था लेकिन उन्होंने ऋषि विश्वामित्र का साथ ततकाल नहीं छोड़ा। उनके साथ जंगल-जंगल और कई नगरों में घूमते रहे। राम का कहना था कि और भी कहीं कोई राक्षस ब्राह्मणों, ऋषियों, निर्बलों या गौओं का नष्ट कर रहे हों या उनके कार्यों में बाधा डाल रहे हों तो मैं उनका नाश करने के लिए तैयार हूं।
शक्ति है तो उसका पहला उपयोग निर्बलों की सहायता, समाज की सेवा और विश्व के उत्थान में लगाना चाहता हूं। इस पूरे अभियान में राम ने कई राक्षसों को मार गिराया। विश्वामित्र ने राम को प्रसन्न होकर कई दिव्यास्त्र भी दिए, जो बाद में रावण से युद्ध में काम आए।
शक्ति का सबसे श्रेष्ठ उपयोग जनहित में ही हो सकता है। परमात्मा अगर शक्ति देता है तो वो सिर्फ उसका उपहार नहीं होती। वो एक जिम्मेदारी भी है। हमें धन, बल, बुद्धि या विद्या कोई भी शक्ति मिले तो उसका उपयोग सबसे पहले लोक हित में किया जाना चाहिए। तभी वो सफल और सुफल होगी।
कहा जाता है जिसे अपने सामथ्र्य का उपयोग करना आ गया, वो सारा संसार जीत सकता है। शक्तिशाली होना कोई उपलब्धि नहीं है, लेकिन अपनी शक्ति का सदुपयोग बहुत बड़ी उपलब्धि है। अगर अपनी शक्ति का, सामथ्र्य का सम्मान चाहते हैं तो दूसरों के लिए जीने की आदत डालनी होगी। मुश्किल में पड़े लोगों की सहायता से ही ताकत को सलाम मिलता है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 नवंबर 2011
शक्ति का सही उपयोग कैसे किया जाए, सीखिए भगवान राम से...
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