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16 नवंबर 2011

पेट्रोल में मिली राहत, अब चीनी कर सकती है आफत

भोपाल। पेट्रोल की कीमतों में कटौती के बाद राहत का अनुभव कर रही केंद्र सरकार के लिए चीनी के रूप में नया सिरदर्द तैयार है। बढ़ी लागत का हवाला देते हुए इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन (आईएसएमए) ने केंद्र सरकार से चीनी की कीमतों में सीधे 5 रुपए किलो की बढ़ोतरी की मांग की है।

आईएसएमए के अनुसार उत्तर प्रदेश में गन्ने के समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 45 रुपए की बढ़ोतरी के बाद उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों की प्रति क्विंटल लागत 2900 रुपए से सीधे बढ़कर 3400 रुपए पहुंच गई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों के लिए चीनी बनाना खासा मुश्किल हो जाएगा।

मिलों के अनुसार चीनी की कीमतों पर पूरा सरकार का नियंत्रण है। वह हर माह मासिक कोटा जारी कर मिलों को यह बताती है कि उन्हें इस माह में कितनी चीनी बेचनी हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र में भी चीनी के दामों में बढ़ोतरी की मांग हो रही है।

मध्यप्रदेश चीनी व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष रमेशचंद्र खंडेलवाल ने बताया कि पिछले साल महाराष्ट्र में चीनी मिलों को प्रति क्विंटल 64 रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में मिल वाले इस बार पेराई सीजन की शुरूआत में ही सरकार से आश्वासन चाहते हैं कि चीनी बनाने में उन्हें कोई घाटा नहीं होगा।

खास बातें

> उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों और किसानों के बीच गन्ना खरीद को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति बनती है। कई मिलों ने अभी पिछले साल हुई गन्ना खरीद का पेमेंट अभी तक नहीं किया है।
> महाराष्ट्र की चीनी मिलें को-आपरेटिव सेक्टर की हैं, जहां गन्ना उत्पादक खुद शेयरहोल्डर और मुनाफे के साझीदार होते हैं, इसलिए नहीं होते वहां विवाद।
> उत्तर प्रदेश में गन्ने से चीनी की रिकवरी महज 8.5 फीसदी ही है, जबकि महाराष्ट्र में यह रिकवरी 10 फीसदी तक है।

यह भी हो रही मांग

> सरकार लेवी की चीनी बाजार से खरीदे। अभी सरकार चीनी की 19 रुपए किलो के हिसाब से मिलों से खरीदती हैं। मिलों के अनुसार लेवी में सस्ती चीनी देने से देश के मिल वालों को सालाना 2500 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
>देशभर की मिलें इस पेराई सीजन में चीनी निर्यात की सीमा को 40 लाख टन करने की मांग कर रही हैं। इस समय पूरी दुनिया में भारत की गन्ने की फसल सबसे अच्छी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छी मांग चल रही है। ऐसे में मिल वालों को निर्यात की अनुमति मिले।

बेशक सरकार पर महंगाई रोकने का दबाव है, लेकिन चीनी उद्योग चलता रहे, यह भी उसकी जि मेदारी है। यूपी में गन्ने की कीमतें सीधे 24 फीसदी बढ़ गई हैं। ऐसे में मिलें घाटा उठाकर चीनी नहीं बनाएंगी।
-अबिनाश वर्मा, महानिदेशक, इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन,नई दिल्ली

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