आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

07 नवंबर 2011

गुमनाम रास्ता से सुबह पांच बजे आती है..मौत!


वैसे तो कहा, सुना और माना जाता है कि मौत के आने का कोई वक्त नहीं लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां मौत के आने का समय तय है, अलसुबह 5 बजे। ये जगह है सेंट्रल जेल जबलपुर। सालों से इस जगह पर काल इसी समय आता रहा है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि भास्कर की ये रिपोर्ट जेल में फांसी के अब तक के इतिहास पर आधारित है।

कब कितनी.. सन् 1945 में एक अपराधी को सूली पर चढ़ाया गया तो इसके अगले साल यानी सन् 1946 में 10 फांसियां दी गईं। इसके बाद सन् 1947 में 6, 1948 में 1, 1950 में 1, 1951 में 3, 1952 में 11, 1953 में 1 और 1955 में एक फांसी दी गई। इस तरह लगातार सिलसिला चलता रहा। इसके बाद भी एक या दो और ज्यादा लोगों को फांसी दी जाती रही।

वेटिंग में हैं 5.. फिलहाल ऐसे 5 कैदी हैं जिन्हें फांसी की सजा होने की उम्मीद है। हालांकि अभी प्रक्रिया जारी है। दरअसल कानूनी पेंच में इतना समय निकल जाता है कि फांसी होने की संभावनाएं लगातार घटती जाती हैं। पहले लोअर कोर्ट, हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट।

इसके बाद हो सकता है कि फरियादी राष्ट्रपति के दरबार में भी अर्जी लगाए इस दरबार से फरियाद ठुकराए जाने के बाद मामला उसी रास्ते से लौटकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के पास आता है। जहां से आरोपी को सजा सुनाई गई थी। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ब्लैक वारंट जारी करता है तब कहीं तय होता है कि फांसी होगी। इसके एक या दो हफ्ते बाद सजा को अमल में उतार दिया जाता है।

बस एक हिचकी.. फांसी ब्रrामुहुर्त में सुबह 5 बजे दी जाती है। मरने वाले कैदी को रात को दो बजे जगाया जाता है। इसके बाद उसे वो सारा वाक्या पढ़कर सुनाया जाता है, जिसके बदले उसे यह हौलनाक सजा मिली है। इस दस्तावेज में यह भी दर्ज होता है कि कब, कहां, किस कोर्ट ने उस मामले में क्या फैसले दिए। इसके बाद धर्मगुरु कैदी को प्रार्थना कराते हैं और यह उसकी आखिरी इबादत होती है।

इनकी आंखों के सामने फांसी के वक्त मजिस्ट्रेट और जेल के गिने-चुने अधिकारी मौजूद रहते हैं। इनके सामने ही सूली तैयार की जाती है और कैदी को उस पर लटकाया जाता है। जब तक कि ये तय न हो जाए कि वह मर चुका है। तब तक कोई भी वहां से नहीं हिलता। बताते हैं कि जबलपुर जेल में फांसी के दौरान कई अफसरों की चीखें निकल आईं थी तो कई बेहोश भी हो चुके हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...