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07 नवंबर 2011

8 हजार साल पुराना 'पाप' धोएंगे यहां के आदिवासी

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भोपाल. प्रदेश के गोंड आदिवासी आठ हजार साल पुराने पाप का प्रायश्चित कर रहे हैं। इन आदिवासियों का मानना है कि आठ हजार साल पहले उनके पूर्वजों ने राजा शंभू का नंदी (बैल) चुरा कर खा लिया था।

नतीजा, बिरादरी पर चोर का कलंक लगा और बिरादरी गरीबी, बीमारी और पिछड़ेपन की चपेट में आ गई। इस सबसे उबरने के लिए अब गोंड आदिवासी पचमढ़ी के हीवा बड़ा महादेव मंदिर में एक नंदी दान करने जा रहे हैं।

आज पहुंचेंगे पचमढ़ी

इस नंदी दान के लिए बैतूल जिले के रतनपुर से शुरू हुई पदयात्रा मंगलवार को पचमढ़ी पहुंचेगी। दिन भर पूजा व अन्य आयोजनों के बाद एक नंदी बड़ा महादेव (शिव) मंदिर में छोड़ दिया जाएगा। खास बात यह है कि करीब तीन साल का यह नंदी आदिवासियों ने चंदा करके 7051 रुपए में खरीदा है।

गोंडवाना आदिवासियों के धार्मिक मामलों पर अंतिम निर्णय करने वाली गोंडवाना महासभा के उप सचिव मेहा सिंह मरावी बताते हैं कि दिसंबर में हुई सभा की बैठक में निर्णय लिया गया था कि कलंक धोने के लिए नंदी दान किया जाए। इसके बाद यात्रा की तैयारियां शुरू हुईं।

28 अक्टूबर को शुरू हुई थी यात्रा

28 अक्टूबर को रतनपुर (बैतूल) से शुरू हुई यह यात्रा छिंदवाड़ा, रायसेन, देवास, सीहोर और होशंगाबाद जिलों से होती हुई मंगलवार को पचमढ़ी पहुंचेगी। मरावी बताते हैं कि यात्रा का एक उद्देश्य नई पीढ़ी को परंपराओं से परिचित कराना भी है।

...इसीलिए नहीं पनपी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी

यात्रा में शामिल आदिवासी राजनीतिक चर्चा से बचते हैं, लेकिन वे यह मानते हैं कि चोरी के अभिशाप के ही कारण गोंडवाना गणतंत्र पार्टी उभरने के साथ ही बिखर गई।

पार्टी एक समय में एक बड़ी राजनीतिक शक्तिबन गई थी और बड़े राजनीतिक दलों का ध्यान गोंड आदिवासियों पर गया, लेकिन कुछ ही दिन में यह शक्ति बिखर गई। यह भी माना जा सकता है कि इस यात्रा के पीछे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी हो सकती है, जो इस बहाने से बिरादरी को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।

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