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01 नवंबर 2011

जिसने भी देखा यह कारनामा, थमी सांस और खुली रह गई आंख

कोटा.महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम के मैदान पर भारी भरकम इनफिल्ड मोटरसाइकिलों के साथ खिलौने की माफिक खेलते सेना के जवानों का साहस, संतुलन व हौंसला देख वहां बैठे दर्शक रोमांचित हो उठे।

ऊबड़खाबड़ मैदान के बावजूद हवा से बातें करती बाइक पर जवानों ने जो संतुलन रखकर हैरतअंगेज करतब दिखाए उसे दर्शकदीर्घा में बैठे सेना के अधिकारी, जवान उनके परिजन व आम जनता अपलक निहारती रही। बिना हैंडिल पकड़े बाइक पर संतुलन रखकर कभी जवानों ने पिरामिड बनाया तो कभी सीढ़ी से जंप लगाया। कभी वे आग से खेले तो कभी कांच से।

यह नजारा था भारतीय सेना की गांडीव डिविजन के 36वें स्थापना दिवस समारोह के आगाज का। नयापुरा स्थित महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम में रविवार शाम को जनरल अफसर कमांडिंग (जीओसी) एएस परब ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उसके बाद शुरू हुआ सेना की मोटर साइकिल डिस्प्ले टीम डेयर डेविल्स के जवानों का साहसिक खेल।

जबलपुर से कमांडर बिग्रेडियर सी.मनी व कमांडिंग आफिसर शूद्र सिंह के नेतृत्व में आई 35 जवानों की टीम ने करीब 1 घंटे तक आत्मविश्वास व एकाग्रता के बल पर सांसें थमा देने वाले साहसिक करतब दिखाए।

चलती बाइक पर व्यायाम करना, समयाभाव के कारण चलती बाइक पर अखबार पढ़ने, ट्रिपल बैलेसिंग राइडिंग, 15 जवानों को जमीन पर सुलाकर उनके ऊपर से बाइक निकालना, बाइक पर 5 जवानों द्वारा एरोप्लेन व राकेट का मॉडल बनाना, पांच जवानों के साथ बाइक पर पेट के बल लेटकर चारों दिशाओं में घूमकर दुश्मन पर वार, दो बाइकों को 6 जवानों द्वारा रथ की तरह चलाना, चलती बाइक पर सीढ़ी पर चढ़ना और बंदर की तरफ जंप करने आदि कई करतब थे।

जब टीम के कप्तान अभयजीत सिंह महलावत ने जलते हुए गोले के बीच से तथा कांच व ट्यूबलाइट्स तोड़ते हुए बाइक निकाली तो स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। अंत में 7 बाइक पर 35 जवानों ने पिरामिड बनाकर तिरंगा लहराते हुए सलामी दी।

इन जवानों के अलावा 17 पंजाब रेजिमेंट के जवानों ने आधे घंटे तक नोन स्टॉप भांगड़ा करके दर्शकों को पंजाब की याद दिला दी। कार्यक्रम का शुभारंभ साहस से हुआ तो समापन बैंड की स्वर लहरियों से हुआ। सेना के बैंड ने एक से एक बढ़कर एक देशभक्ति धुन सुनाई।

गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज

सेना की डेयर डेविल्स टीम के जवान साहस का यह खेल 15 मार्च 1935 से खेल रहे हैं। इस टीम का पहला प्रदर्शन इसी दिन शिमला में जार्ज पंचम क्वीन मेरी के राज्याभिषेक के रजत जयंती समारोह में हुआ था। तब से आज तक यह टीम सफलता के कई झंडे गाड़ चुकी है। इस टीम के नाम कई वल्र्ड रिकॉर्ड है।

वर्ष 2008 में 11 मोटरसाइकिलों पर 251 जवानों का पिरामिड बनाने पर पर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। 2009 में जबलपुर के कोबरा मैदान में टीम के कैप्टन जितेंद्र सीवाच ने बाइक का हैंडल पकड़े बिना 15 फीट की सीढ़ी पर 9 घंटे तक खड़े रहकर बाइक चलाई। इस पर उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ।

साहसिक कॉमेडी

कार्यक्रम में बीच में दो जवानों ने जोकर की भूमिका निभाते हुए साहसिक कॉमेडी से दर्शकों को खूब हंसाया। कभी वे चलती बाइक पर बिना हैंडिल पकड़े घुड़सवारी करते तो कभी बाइक पर पहिए के आगे बैठकर बाइक चलाते। कभी बाइक के फुट रेस्ट पर बैठ कर मैदान में घूमते तो कभी उल्टे बैठकर बाइक चलाते।

मैदान ने किया निराश

जवानों की पीड़ा थी कि स्टेडियम का मैदान इस तरह के करतब के लिए उपयुक्त नहीं था। मैदान को काफी समतल किया गया था, लेकिन फिर भी उसमें कई जगह पर गड्ढे थे। जिससे बाइक की रफ्तार बिगड़ जाती थी। यह कार्यक्रम देने से पहले उन्होंने शनिवार को इसी मैदान पर प्रैक्टिस की थी। उस दौरान गड्ढों के कारण ही दो जवान गिरकर घायल हो गए।

टीम पुरानी, कप्तान नया

इस साहसिक करतब में यह भी साहस की बात थी कि टीम के कैप्टन अभयजीत सिंह महलावत का यह पहला शो था। मूल रूप से राजस्थान सीकर के रहने वाले अभयजीत हाल ही में इस टीम के कैप्टन बने हैं। अभी उनकी ट्रेनिंग ही चल रही थी कि यह शो करने के लिए वे कोटा आए गए। इसमें अभयजीत ने आग के गोले से बाइक निकालने, 15 जवानों के ऊपर से बाइक जंप करवाने तथा ट्यूबलाइट्स व कांच तोड़ते हुए बाइक निकालने के करतब दिखाए।


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