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15 नवंबर 2011

चमत्कारी 'इंद्राक्षी' की कीमत सुनकर दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे आप!

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लखनऊ। यह माला न तो बेशकीमती हीरों से जड़ी है और न ही सोने से गढ़ी गई है, फिर भी इसकी कीमत दो करोड़ रुपये है। रत्नों के राजा कहलाने वाले रूद्राक्ष से बनी इस माला को इंद्राक्षी माला कहते हैं।

इंद्राक्षी माला एक मुखी से लेकर 21 मुखी जैसे अतिदुर्लभ रूद्राक्षों से निर्मित है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तनय सीथा ने इसे बनाया है। सीथा मुम्बई स्थित रूद्राक्ष की बिक्री करने वाली संस्था रूद्रलाइफ के संस्थापक हैं। रूद्रलाइफ की ओर से कानपुर में आयोजित प्रदर्शनी में इंद्राक्षी माला सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

सीथा ने बताया, "इंद्राक्षी माला में कुल 28 रूद्राक्ष हैं। इनमें एक से लेकर 21 मुखी तक के रूद्राक्षों के अलावा गौरीशंकर रूद्राक्ष, गणेश रूद्राक्ष जैसे अतिदुर्लभ रूद्राक्ष भी हैं।" मुम्बई विश्वविद्यालय के साथ रूद्राक्ष पर कई शोध कर चुके सीथा कहते हैं, "इंद्राक्षी माला की कीमत दो करोड़ रुपये होने के पीछे इसमें अतिदुर्लभ रूद्राक्षों का होना है, जो बहुत महंगे होते हैं। 21 मुखी रूद्राक्ष को कुबेर भी कहा जाता है। यह सबसे ज्यादा दुर्लभ होता। अकेले कुबेर रूद्राक्ष की कीमत 70 लाख रुपये होती है।"

सीथा ने कहा, "आज हमारे पास कई वैज्ञानिक अध्ययन हैं जो रूद्राक्ष का महत्व और प्रभाव बताते हैं। इन प्रभावों का शिव पुराण सहित 18 पुराणों में भी उल्लेख मिलता है।" उन्होंने दावा किया, "इंद्राक्षी माला नेपाल के जंगलों में पाए जाने वाले पेड़ों से निर्मित है। इसे धारण करने वाले के आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बन जाता है, जिससे अच्छा स्वास्थ्य, आंतरिक प्रसन्नता, समृद्धि, रचनात्मकता, और मानसिक प्रबलता आती है। उन्होंने कहा कि रूद्राक्ष के अध्यात्मिक गुणों के कारण ही सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं।"

सीथा ने कहा कि वैसे तो देश में भी रूद्राक्ष की करीब 25 से ज्यादा किस्में पाई जातीं हैं लेकिन नेपाल के जंगलों में पाए जाने वाले रूद्राक्ष के पेड़ सबसे अच्छी गुणवत्ता के होते हैं और वैदिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है।

देश-विदेश में 400 से ज्यादा प्रदर्शनियां लगा चुके सीथा ने नकली रू द्राक्ष की बिक्री पर चिंता जताते हुए कहा कि रूदाक्ष का एक संग्रहालय खोलकर लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि नकली रूद्राक्ष की बिक्री देशभर में होती है। लोगों की कम जानकारी के कारण यह धंधा फलफूल रहा है। उन्होंने बताया कि देशभर में सड़कों के किनारे दुकानें लगाकर बैठे कुछ लोग सुपारी को रूद्राक्ष की शक्ल देकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।

सीथा ने कहा, "ऐसे ठगों से बचाने के लिए हम महाराष्ट्र के त्रयंबकेश्वर में रूद्राक्ष का संग्रहालय स्थापित कर लोगों को जागरूक करेंगे ताकी लोग असली व नकली रूद्राक्ष का फर्क समझ सकें।

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