आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

29 नवंबर 2011

कोंग्रेस की कमजोर बुनियाद को हो सके तो कोंग्रेस को खत्म होने से बचा सको तो बचा लो यारों

कोंग्रेस का बुनियादी सम्मेलन उत्तर प्रदेश के चुनाव के पहले और किराने व्यापार में विदेशी दखल के वक्त चल रहा है ..यह सही है के कोंग्रेस की बुनियाद हिल जाने के बाद उसे अब अपनी बुनियाद मजबूत करने के लियें इस सम्मेलन की बेहद जरूरत थी राहुल गांधी ने कोंग्रेस की इस नब्ज़ को समझा और एक अच्छे डोक्टर की तरह से इस मर्ज़ के इलाज के लियें कोंग्रेस बुनियाद चिकित्सा शिविर लगाया लेकिन इस सम्मेलन का नतीजा कुछ खास नहीं निकल पाया है ... राहुल गाँधी चाहते हैं के कोग्न्रेस की निति कोंग्रेस का संविधान आम लोगों तक पहुंचे लेकिन निठल्ले कथित कोंग्रेसी जिनका उद्देश्य हमेशा कोंग्रेस के शासन में सत्ता का सुक्ख भोगना रहता है वोह कोग्न्रेस से कोसों दूर है और आज हालात दुसरे हो गये है यहाँ कोंग्रेस क्या है उसका विधान किया है कोंग्रेस को जनता के साथ किस तरह का व्यवहार करना है और उसे समाज सेवा क्षेत्र में क्या करना है ..कोंग्रेस किस तरह से अपनी वार्षिक कमाई का विवरण कोंग्रेस के जिला अध्यक्ष को देगा यह सभी बातें कोंग्रेस के संगठन में है लेकिन इन सब बातों को ना तो आज का कार्यकर्ता जानता है और ना ही कोग्न्रेस का कोई नेता इसे समझ रहा है केवल भाई भतीजावाद ..भ्रष्टाचार ..बेईमानी का बोलबाला है राहुल गाँधी की गुप्त राजस्थान यात्रा और फिर दिग्गज कोंग्रेसियों का राहुल गान्धी को दबा कर उनके निर्णय को बदलवाना यह साबित करता है के कोंग्रेस की बुनियाद हिलाने के लियें एक कोकस सक्रिय है जिसका प्रमुख उद्देश्य सन्गठन और मूल संगठन भाव को खत्म कर केवल और केवल सत्ता की चाशनी चाटना रहा है लेकिन उन्हें यह पता नहीं के ज्यादा चाशनी में जब चीटियाँ हो जाती हैं तो खुद को बचना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन हो जाता है इसी लियें मेरी कोंग्रेस के हाई कमान से दरख्वास्त है के वोह फिर से अपनी मूल भावना पर लोटे फिर से वोह जनता के बीच संविधान के भाव और कोंग्रेस के निति नियमों के तहत जाए इन नियमों को सख्ती से लागू करे और जो भी कोंग्रेसी अलमबरदार इस नियम का उलन्न्घन करता हुआ मिले उसे घर का रास्ता दिखाया जाए और इस शुद्धिकरण से ही कोंग्रेस का पुनर्जीवन सम्भव है कोंग्रेस की बुनियाद को मजबूत कर स पर फिर से बहुमंजिली सत्ता की इमारतें खड़ी करना सम्भव है आखिर हम चिन्तन करे मनन करें के जब हम लोकसभा की ५४४ सीटों में से ५०० सीटें तक जीता करते थे आज हम पूरी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े भी नहीं कर पाते हैं और कई राज्यों में हमारे खाते ही बंद हो गये हैं तो कोंग्रेस के अलंबरदारों फिर से उठो अपनी ताकत को पहचानों पुराने परम्परागत वोटर्स के पास लोटो अपनी गलतियों के लियें माफ़ी मांगो अफसर शाही की गुलाम मानसिकता से बाहर निकलो कोंग्रेस कार्यकर्ताओं के समर्पण और अहमियत को समझों जो नई परम्परा अधिकारीयों को सेवानिवृत्ति के बाद तुरंत पार्टी का टिकिट देकर मंत्री बनाने या महत्वपूर्ण सत्ता के पद देने की शुरू की है उसे बदलों अगर जरूरी हो तो सिर्फ ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों को संगठन में काम लेकने के लियें कुछ दिन लगा कर तो देखो ताकि संगठन वालों को पहचाने संथान के निति नियम को पहचाने यह तो वोह लोग होते है जो सत्ता से सत्ता का सफर तय करने के बाद इतराते हैं और कोंग्रेस को मटियामेट करते हैं ॥ इसलियें कोंग्रेस की जो बुनियाद हिल रही है महरबानी करके उसे फिर से मजबूर कर डालो यारों .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. किसी भी पार्टी को आम जन से जुड़कर अपने सरोकारों का निर्वहन करते हुए राजनीति करनी चाहिए.
    क्या एक ही विशिष्ट परिवार के सदस्यों को देश की बागडौर सौंपना राजशाही की स्थिति नहीं है. लोकतंत्र में समय समय पर आमूल चूल परिवर्तन होते रहने चाहिए.

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...