धर्म शास्त्रों के अनुसार भैरव ने ब्रह्मा का पांचवा सिर काटा था। जहां वह सिर गिरा वह स्थान काशी में कपाल मोचन तीर्थ के नाम से विख्यात है। जो प्राणी इस तीर्थ का स्मरण करता है, उसके इस जन्म एवं पर जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां आकर सविधि स्नानपूर्वक पितरों एवं देवताओं का तर्पण करके मानव ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।
कपाल मोचन तीर्थ के समीप ही भक्तों के सुखदायक भगवान भैरव स्थित हैं। सज्जनों के प्रिय भैरव का प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष की कृष्णाष्टमी को हुआ था। उसी दिन को उपवासपूर्वक जो प्राणी कालभैरव के समीप जागरण करता है, वह संपूर्ण महापापों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है। यदि कोई व्यक्ति भगवान विश्वेश्वर का भक्त होते हुए भी कालभैरव का भक्त नहीं है, तो उसे बड़े-बड़े दु:ख भोगने पड़ते हैं। यह बात काशी में विशेष रूप से चरितार्थ होती है। काशीवासियों के लिए भैरव की भक्ति अनिवार्य बताई गई है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 नवंबर 2011
कालभैरव ने ही काटा था ब्रह्मा का पांचवा सिर
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