मेने उससे की थी
वफा की उम्मीद
मेरी यही तो गलती थी ।
मेने उसे चाहा
मेरे दुसरे चाहने वालों को ठुकरा कर
मेरी यही तो गलती थी
मेने सिर्फ तुम्हे पुकारा
दूसरों की पुकार को धिक्कार कर
मेरी यही तो गलती थी
बस
अब
इन गलतियों का ही
मुझे नतीजा भुगतना है
कल तुम भी देख लेना
मेरे जज्बात
मेरी ख्वाहिशें
सब मेरे साथ ही
खामोश हो जायेंगे
फिर तुम आज़ाद
शिकारी की तरह
किसी दुसरे शिकार को
तलाश लेना .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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