आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

12 नवंबर 2011

मेरी यही तो गलती थी ।

मेने उससे की थी
वफा की उम्मीद
मेरी यही तो गलती थी ।
मेने उसे चाहा
मेरे दुसरे चाहने वालों को ठुकरा कर
मेरी यही तो गलती थी
मेने सिर्फ तुम्हे पुकारा
दूसरों की पुकार को धिक्कार कर
मेरी यही तो गलती थी
बस
अब
इन गलतियों का ही
मुझे नतीजा भुगतना है
कल तुम भी देख लेना
मेरे जज्बात
मेरी ख्वाहिशें
सब मेरे साथ ही
खामोश हो जायेंगे
फिर तुम आज़ाद
शिकारी की तरह
किसी दुसरे शिकार को
तलाश लेना .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...