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07 नवंबर 2011

कुछ रामबाण उपाय जो सिरदर्द से जुड़ी हर परेशानी को दूर कर देंगे

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दर्द कहीं का भी हो वह बैचैनी और दुखदायी होता है,और यदि सर का हो तो फिर क्या कहने ? दुनिया में लोग कभी न कभी किसी न किसी रूप में इस दर्द को अवश्य ही झेलते हैं। सिर दर्द का कारण मस्तिष्क,रक्त नलिकाओं एवं आस पास क़ी तंत्रिकाओं के आपस में तालमेल से दर्द की संवेदनाओं के उत्पन्न होने के कारण उत्पन्न होता है। यह दर्द दो प्रकार का होता है 1.प्राथमिक सिर दर्द ;माइग्रेन ,टेंशन - हेडेक ,क्लस्टर -हेडेक आदि इसके अंतर्गत आते हैं ,जबकि 2. सेकेंडरी हेडेक :साइनस ,एलर्जी,दांतों क़ी समस्या ,सर क़ी चोट एवं ट्यूमर्स इस केटेगरी में आते हैं। अब हम दैनिक भास्कर जीवन मंत्र पर आये पाठकों के प्रश्नों को लेकर उनका समाधान करने का प्रयास करते हैं :-
1.कंचन (जमशेदपुर ),संदीप(दिल्ली ),मनीष (गुडगाँव),नेहा (खंडवा ),कैईद जोहर (दुबई),सैफ,सुनील (दिल्ली ),अमित जैन (जयपुर )आदि के प्रश्नों से प्रतीत होता है, कि़ सिर के दर्द का कारण माइग्रेन है ,
वैसे माइग्रेन के कारण होने वाला सिर दर्द पूरे दिन होता है, तथा एक महीने में लौटकर कई बार दुबारा भी होता है ,इसमें सिर में पल्स चलने सा दर्द ,सामान्यतया सिर के एक तरफ, हल्का या तीव्र,कार्य करने से बढऩे की प्रकृति वाला ,सिर दर्द के साथ उल्टी आने क़ी इच्छा एवं लाईट सेन्सटीविटी से युक्त होता है। इसमें कई मरीज सिर दर्द के शुरू होने से पूर्व 5 से 15 तथा 60मिनट तक समाप्त हो जाने वाले नयूरोलोजिकल लक्षण जिसे -औरा- कहते हैं का अनुभव करते हैं।
-ऐसे सभी रोगियों के लिए लेवेंडर के तेल सिर पर धीरे-धीरे मालिश करना दर्द से राहत देता है ,आप पंचकर्म चिकित्सक के निर्देशन में इससे शिरोधारा भी करवा सकते हैं।
-ऐसे में आप सामान्यतया एस्पिरीन (सेरिडोन,डिस्प्रिन,एकोल्स्प्रिन )आदि का प्रयोग करते होंगे,पर आप इनके स्थान पर लेमन-ग्रास का जूस निकालकर 5-10 मिली क़ी मात्र में प्रयोग करें, निश्चित लाभ मिलेगा ,हाल ही में टमाटर की बीजों से बनाए गए जेल के प्रभाव भी कुछ ऐसे ही पाए गए हैं।
-आयुर्वेदिक चिकित्सा में आप गोदंती भस्म -250 मिलीग्राम एवं प्रवाल भस्म -250 मिलीग्राम क़ी मात्रा में ,किसी मीठी चीज से नियमित रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श में लगातार 6 माह तक लें,निश्चित लाभ मिलेगा।
-कई बार माइग्रेन का दर्द किसी विशेष प्रकार के भोजन को लेने से अचानक उपन्न हो जाता है, आप से मेरा अनुरोध है, कि़ आप सबसे पहले इन खाद्य पदार्थों क़ी पहचान करें ,जिनको लेने के बाद तीव्र दर्द उत्पन्न होता है, ऐसे कुछ भोज्य द्रव्य निम्न हैं , जो माइग्रेन के दर्द को उत्पन्न करने में सहायक होते हैं :
-एल्कोहोल (रेड वाइन ,बीयर ),कॉफी ,चाय ,सोडा ,आर्टीफिशीयल स्वेटनर ,मूंगफली एवं इससे बने खाद्य प्रोडक्ट ,धुआं ,प्रोसेस्ड मीट आदि।
-मोनोसोडियम ग्लूटामेट युक्त खाद्य पदार्थ एवं हाइड्रोजीनेटेड आयल के सेवन से बचें,प्रोसेस्ड फ़ूड न लें ,तीव्र परफ्यूम ,कंडीशनर रसायनयुक्त शेम्पू के इस्तेमाल से बचें।
-कमल पाटीदार (इंदौर ) राकेश भारद्वाज (पठानकोट ): आपने सिर के पिछले हिस्से में दर्द की शिकायत की है, यह टेम्पोरल हेडेक प्रतीत होता है ,बेहतर यह होगा कि़ आप अपने सिर का सीटी-स्कैन करवाकर सही कारण जान लें ,कई बार इसका कारण टेम्पोरलआर्टेराईटीस भी होता है ,जिसमें थकान एवं हल्का बुखार भी बना रहता है ,आप सुदर्शन चूर्ण 2.5ग्राम ,अविपत्तिकर चूर्ण 1.5 ग्राम ,सितोपलादि चूर्ण 1.5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी से तथा पथ्यादी क्वाथ -15-20 मिली की मात्रा में समभाग पानी से खाली पेट लें।
-दीप्ति येरवर (पुणे ),विकास यादव एवं मनोज (चंडीगढ़ ) सिर दर्द एक समस्या बतलाई है, और स्वयं को कम्प्यूटर के सामने लगातार बैठने का अभ्यासी भी कहा है ,जैसा आपने बताया है, कि़ लगातार कम्पयूटर के सामने बैठने से आंखों को अनावश्यक तनाव का सामना करना पड़ता है ,जिस कारण आप के सिर में दर्द की संवेदनाएं उत्पन्न हो रही है ,किसी भी प्रकार का तनाव इसमें ट्रीगर रेस्पोंस पैदा करता है ,आप इस तनाव को थोड़ा कम करें,साथ ही मेडिटेसन को नियमित रूप से जीवन शैली का हिस्सा बनाएं आपको निश्चित लाभ मिलेगा।
-हेमलता चितेकर (इंदौर ),प्रवीण कुमार (फतेहाबाद ),अतुल कुमार शुक्ला (हरदोई ) ने आधे सिर में दर्द होना बतलाया है इसे हेमिक्रेनिया कहा जाता है, इसमें सिर के एक हिस्से में दर्द बना रहता है,यह दर्द रोज बिना कम हुए होता है ,दर्द के साथ साथ आँखों से आंसू भी निकलते हैं ,कभी-कभी जुखाम एवं नाक भी बंद हो जाती है (जैसा की संजय सीकर राजस्थान ) ने भी बताया है ,कभी-कभी दर्द क़ी तरफ वाली आंख की पलकें अपनेआप गिर जाती हैं ,जिसे टोसिस कहते हैं, या आंखों की पुतलियाँ अनियंत्रित होकर सिकुड़ती हैं, (ऐसे ही लक्षण पूजा सिकोहाबाद ने भी बताया है ) , ऐसा सामान्यतया क्लस्टर हेडेक में देखा जाता है, इनका सही कारण अब तक ज्ञात नहीं है, हाँ आयुर्वेद के अनुसार आप उपचार लें तो आपको निश्चित लाभ मिलेगा ,आप त्रिफला घृत का नियमित प्रयोग करें तथा आस्च्योतन एवं अंजन का प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशन में लें ,दर्द के लिए इंडोमेथेसिन के स्थान पर शिर: शूलवज्रिणी वटी 2-2 गोली नियमित रूप से सेवन करें निश्चित लाभ मिलेगा।
-किशोर खंडेलवाल (जयपुर ),अंकुश (इंदौर),प्रवीण कुमार (फतेहाबाद ),सौरभ (ग्वालियर ) आदि के सिर के दर्द का कारण तनाव एवं एंजाईटी प्रतीत होता है ,जिस कारण रोगी को नींद नहीं आती है और फलस्वरूप सिरदर्द एवं हाइपरएसिडीटी जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं ,आप अकारण चिंता छोड़ें ,बिना कारण भविष्य के प्रति चिंता वर्तमान के लिए दुखदायी होती है ,और रोगों का कारण बनती है अंकुश (इंदौर ) ने तो इसे अपनी राशि से जोड़ दिया है, तनाव और परेशानियां हर व्यक्ति के जीवन के पहलु हैं ,बेहतर यह होगा कि आप गम के पलों को भूलकर खुशी के पलों को याद करें ,आप शवासन ,ध्यान एवं योग निद्रा का अभ्यास करें,अगर लाभ न हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
-कविन्द्र कुमार (इटली ),महेश कुमार (जमशेदपुर ),अनिल कुमार सैनी (जयपुर ) आदि ने सिर दर्द के साथ बालों क़ी समस्या को जोड़ा है ,बालों क़ी समस्या का निराकरण पिछले सीरीज में प्रकाशित हुआ है, कृपया उसे पढ़ें साथ ही सिर दर्द के लिए बताये गए उपरोक्त उपचारों का प्रयोग करें।
-सुमीत टोपनो ने एक सप्ताह पहले बुखार के साथ सर दर्द उत्पन्न होना बतलाया है,बुखार के साथ तीव्र सर दर्द साथ में गर्दन अकडऩा एक खतरनाक लक्षण होता है ,ऐसे में बेहतर यह होता है , कि आधुनिक उपचारों का चिकित्सक के परामर्श से सेवन किया जाय ,लेकिन अब आपका बुखार तो ठीक हो गया है, पर सिर दर्द बना है आप हल्का भोजन लें तथा तले भुने आहार के सेवन से बचें।

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