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04 नवंबर 2011

महंगाई को मातः यहां आज भी 10 रुपए किलो मिलती है चीनी!


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सरकार के पास भले ही महंगाई पर लगाम कसने के लिए कोई नुस्खा ना हो लेकिन दिल्ली में बुजुर्गों के एक समूह के पास इसका तोड़ मौजूद है। यह ग्रुप हर शनिवार को दाल, चावल, चीनी, आटा, बेसन तथा रसोई में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को बेहद सस्ते में उपलब्ध करवाता है। आपको जानकर हैरानी होगी की इस अनोखे स्टोर में आपको आज भी चीनी 10 रुपए प्रति किलो और आटा 12 रुपए प्रति किलो जैसी सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो जाएगा।

पूर्वी दिल्ली के जगतपुर इलाके के इस ग्रुप के ज्यादातर सदस्य सेवानिवृत कर्मचारी हैं। इस कार्य का संचालन करने वाले जी आर मल्होत्रा (78 साल) खुद लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर हैं। अपने इस अभियान के बारे में मल्होत्रा बताते हैं, 'मैंने बाबा लाल सिंह की प्रेरणा से 1971 में सस्ती दरों पर राशन देने का फैसला लिया था। उस समय भारत-पाकिस्तान युद्ध के चलते महंगाई आसमान छू रही थी। हमारा यह प्रयास आम लोगों के लिए था।'

उनका कहना है कि शुरू में यह काम 10-10 किलोग्राम दाल और चावल से शुरू किया गया था। लेकिन सस्ते राशन का यह काम आज टनों में पहुंच गया है। राशन वितरण का यह काम हर शनिवार सुबह साढ़े पांच बजे से रात के आठ बजे तक किया जाता है। खास बात यह है कि इस काम के लिए कोई सरकारी मदद भी नहीं ली जाती है।

आप सोच रहे होंगे कि इतना बड़ा अभियान बिना की सरकारी मदद के कैसे चल रहा है? तो जनाब हम आपको बता दें कि यह पूरा काम दान में मिली रकम के सहारे किया जाता है। दान में मिले पैसों से हर बुधवार को दिल्ली के थोक बाजारों से दालें, चावल और अन्य घरेलू सामान खरीदा जाता है। फिर इनके एक-एक किलो के पैकेट बनाए जाते हैं।

जी आर मल्होत्रा बताते हैं कि कई बार जब दान में ज्यादा बड़ी रकम मिल जाती है तो चीनी की कीमत मात्र 5 रुपए प्रति किलो भी कर दी जाती है और इसी तरह अन्य वस्तुओं की कीमत भी घटा दी जाती है। एक और अच्छी बात यह भी है कि यहां कोई भी आकर खरीददारी कर सकता है। इस काम में फिलहाल 45 लोग जुड़े हुए हैं जो निःस्वार्थ भाव से सेवा के तौर पर इस काम में हाथ बंटाते हैं।

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