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30 अक्टूबर 2011

: बार एसोसिएशन कहीं विश्व रिकार्ड की ओर तो नहीं!


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बोर्ड में धर्म संकट से घिरे अधिकारी..

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारी इन दिनों ‘धर्म-संकट’ में हैं। धर्म संकट एक महिला कर्मचारी को वीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने को लेकर है। बोर्ड में इनकी नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में हुई है। नियुक्ति पर किसी को आपत्ति नहीं है, आपत्ति इस बात को लेकर है उन्हें आम कर्मचारियों के साथ शाखा में ही काम करने के लिए क्यों नहीं बिठाया जा रहा।

बोर्ड के कुछ प्रभावशाली कर्मचारी महिला के साथ इसलिए सहानुभूति रखते हैं, क्योंकि वे उनके ही एक पुराने साथी की पत्नी रही हैं, जिनके स्थान पर नौकरी मिली है। बोर्ड अधिकारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि करें तो क्या करें। बोर्ड के कुछ कर्मचारी यह मांग भी करने लगे हैं कि उन्हें भी शाखा की बजाय अलग-अलग कक्ष आवंटित किए जाएं ताकि अलग से बैठ कर काम कर सकें।

निगम-पीएचईडी की इंजीनियरिंग फेल

चौपाटी रोड पर आप यदि आते जाते रहे हैं तो आपका सामना सड़क की खस्ता हालत से रोजाना जरूर होता होगा। यह सड़क नगर निगम और जलदाय विभाग की इंजीनियरिंग फेल होने का नायाब नमूना है। अब आप कहेंगे ऐसा क्यों कह रहे हैं। तो आप सुन लीजिए। पिछले 10 वर्षो से यह सड़क खस्ता हाल है।

कई बार पैच वर्क हो चुका है। राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान तो पूरी सड़क का डामरीकरण भी हो चुका है। यहां नियमित रूप से पाइप लाइन लीक होती रहती है। जलदाय विभाग ठीक करवाता है तो पहाड़ी पर बसी आबादी का गंदा पानी द्रुतगति से नीचे आता है और सड़क पर फैलता है।

वाहनों की भारी आवाजाही के कारण सड़क फिर खराब हो जाती है। दोनों ही विभागों के इंजीनियर एक मामूली सी समस्या का दस साल में समाधान न कर पाएं तो इंजीनियरिंग फेल होना ही मानेंगे ना। सीईओ सीआर मीणा और जलदाय विभाग के एक्सईएन सतीश जैन को विचार करना चाहिए कि वे मामूली सा काम नहीं करा सकते तो बड़ी समस्या के समाधान पर क्या स्थिति होगी।

बार एसोसिएशन कहीं विश्व रिकार्ड की ओर तो नहीं!

वकीलों की संस्था अजमेर जिला बार एसोसिएशन को लेकर इन दिनों एक चर्चा चल पड़ी है। लोग यह पूछने लगे हैं कि क्या अजमेर बार विश्व रिकार्ड तो बनाना चाहती है? अब आप पूछेंगे कि विश्व रिकार्ड किस बात का।

इस सवाल के जवाब के लिए जब छानबीन की तो पता चला कि अजमेर बार आए दिन वर्क सस्पेंड कर रही है, हड़ताल कर रही है। अब यह कभी श्रद्धांजलि स्वरूप होता है तो कभी विरोध स्वरूप। हाल ही में तो एक अदालत के बहिष्कार का ही निर्णय कर लिया गया है। अब यह तो बार अध्यक्ष किशन गुर्जर ही बता सकते हैं कि अब तक कितने वर्क सस्पेंड हुए।

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