आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 अक्तूबर 2011

नेटवर्किग साइट्स पर ईमानदारी नहीं है अच्छी



आज गांधी जयंती है। इस दिवस पर अगर मैं यह कहूं कि हर जगह ईमानदारी नहीं बरतनी चाहिए, तो बड़ा अजीब लगेगा। लेकिन मेरी बात को समझने के लिए आपको आज का यह स्तंभ पढ़ना होगा।
हैदराबाद में नेट सोर्स सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड फर्म है, जिसके सर्वेसर्वा वाय.रवि शंकर हैं।

वे और उनकी पत्नी फेसबुक की सदस्य हैं। वे चौबीस घंटे ऑनलाइन रहते हैं। टेक्नोलॉजी से जुड़ा उनका व्यवसाय इसकी मांग भी रखता है। जाहिर है फेसबुक उनके लिए चैटिंग प्लेटफॉर्म बन चुका है, जिसके जरिए वे रिश्तेदारों और मित्रों के संपर्क में रहते हैं।

रवि शंकर के कुछ रिश्तेदार भी उन्हीं की तरह फेसबुक सदस्य हैं। रवि शंकर की एक कजिन सुप्रिया उनकी पत्नी के होम पेज पर परिवार के सदस्य के रूप में मौजूद है। जैसा सभी पत्नियां करती हैं, रवि शंकर की पत्नी भी सभी रिश्तेदारों के मैसेज पढ़ कर तुरंत जवाब देना नहीं भूलतीं।

सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन इस वर्ष 26 अगस्त के आसपास से शंकर की पत्नी के लिए समय बदलना शुरू हुआ.. अच्छे के लिए न होकर बुरे के लिए। उस दिन किसी शख्स ने अपनी पहचान बताए बगैर रवि शंकर की पत्नी से सुप्रिया का नंबर मांगा।

सुप्रिया की ‘भाभी’ होने के कारण उन्होंने पहचान जाननी चाहिए और नंबर क्यों चाहिए यह पूछना चाहा! बदले में उन्हें पहले कन्नड़ और फिर हिंदी में गालियां सुनने को मिलीं। इसके बाद तो यह रोज का सिलसिला बन गया।

अनजान शख्स दिन भर में 300 बार तक फोन करता, पुरानी बातें दोहराता और गालियां देना शुरू कर देता। एक दिन आजिज आकर रवि शंकर की पत्नी ने स्थानीय थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की चेतावनी दे डाली। बदले में उस शख्स ने धमकाते हुए कहा कि वह उनका फेसबुक अकाउंट हैक कर उससे दुनिया भर को अश्लील मैसेज और कंटेंट भेजना शुरू कर देगा।

बाद में पता चला कि सुप्रिया ने किसी से धन उधार लिया था और उस कंपनी से विवाद हो गया। शाहा फिनलीज नामक प्राइवेट लिमिटेड यह कंपनी मुंबई के पवई में स्थित है। सुप्रिया का दावा था कि उसने उधारी चुका दी है, लेकिन कंपनी का अलग ही राग था।

इन दो पक्षों के बीच पिस रही थीं शंकर की पत्नी, जिसने ‘परिवार को बचाना’ चाहा। अब इस मामले की पड़ताल हैदराबाद का एसआर पुलिस स्टेशन और मुंबई क्राइम ब्रांच कर रही है। इसी तरह 2010 दिसंबर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का एचआर एक्जीक्यूटिव फेसबुक के जरिए एक महिला के संपर्क में आया।

मैसेजों के आदान-प्रदान के बाद एक्जीक्यूटिव ने उसे एक शानदार रेस्त्रां में मिलने के लिए बुलाया। वहां उसे यह जान कर धक्का लगा कि वास्तव में वह महिला मित्र न होकर रिकवरी एजेंट थी। वह एक्जीक्यूटिव वास्तव में उधारी नहीं चुका सका था, जो उसने होंडा कार खरीदने के लिए जुटाई थी।

इसी तरह पटना का एक देनदार अपनी सेंट्रो कार कजिन को भेंट कर अफ्रीका चला गया। उसने कजिन को कतई नहीं बताया कि कार की उधारी बाकी है। कंपनी का रिकवरी एजेंट फेसबुक के जरिए उसके कजिन तक पहुंच गया और कार जब्त कर ली।

उक्त सभी मामलों में फेसबुक बीच की कड़ी है। इस पर मौजूद हर मैंबर अपने बारे में हर बातें शेयर करता है, जिसकी मदद से कोई भी किसी तक कभी भी पहुंच सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...